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Samarth Ramdas
श्रीसूर्याजी पन्तकी पत्नी श्रीरेणुका बाईके गर्भसे चैत्र शुक्ल नवमी संवत् १६६५ को ठीक श्रीराम जन्मके समय जो तेजोमय बालक हुआ, वही आगे जाकर समर्थ स्वामी रामदासके नामसे प्रख्यात हुआ। आठ वर्षकी …
Sant Eknath
पैठणमें संवत् १५९०के लगभग श्रीएकनाथजीका जन्म हुआ था। इनके पिता श्रीसूर्यनारायणजी और माता श्रीरुक्मिणीजी थीं। जन्मके कुछ काल बाद ही माता-पिताका देहान्त हो जानेके कारण इनका पालन-पोषण इनके पितामह …
Bhagavad Gita Chapter 17 Overview
शास्त्रविधिको जाननेवाले अथवा न जाननेवाले मनुष्योंको चाहिये कि वे श्रद्धापूर्वक जो कुछ शुभ कार्य करते हैं, उस कार्यको भगवान्को याद करके, भगवन्नामका उच्चारण करके आरम्भ करें। जो शास्त्रविधिको तो नहीं …
Bhagavad Gita Chapter 16 Overview
दुर्गुण-दुराचारोंसे ही मनुष्य चौरासी लाख योनियों एवं नरकोंमें जाता है। अतः मनुष्यको सदुण सदाचारोंको धारण करके संसारके बन्धनसे, जन्म-मरणके चक्करसे रहित हो जाना चाहिये। जो दम्भ, दर्प, अभिमान, काम, …
Bhagavad Gita Chapter 6 Overview
किसी भी साधनसे अन्तःकरणमें समता आनी चाहिये; क्योंकि समताके बिना मनुष्य अनुकूल-प्रतिकूल परिस्थितियोंमें, मान-अपमानमें सम (निर्विकार) नहीं रह सकता और अगर वह परमात्माका ध्यान करना चाहे तो ध्यान भी नहीं …
Bhagavad Gita 15.20
Hindi Commentary By Swami Ramsukhdas ।।15.20।। व्याख्या -- अनघ -- अर्जुनको निष्पाप इसलिये कहा गया है कि वे दोषदृष्टि(असूया) से रहित थे। दोषदृष्टि करना पाप है। इससे …
Bhagavad Gita 15.19
Hindi Commentary By Swami Ramsukhdas ।।15.19।। व्याख्या -- यो मामेवमसम्मूढः -- जीवात्मा परमात्माका सनातन अंश है। अतः अपने अंशी परमात्माके वास्तविक सम्बन्ध(जो सदासे ही है) …
Bhagavad Gita 15.18
Hindi Commentary By Swami Ramsukhdas ।।15.18।। व्याख्या -- यस्मात्क्षरमतीतोऽहम् -- इन पदोंमें भगवान्का यह भाव है कि क्षर (प्रकृति) प्रतिक्षण परिवर्तनशील है और मैं …
Bhagavad Gita 15.17
Hindi Commentary By Swami Ramsukhdas ।।15.17।। व्याख्या -- उत्तमः पुरुषस्त्वन्यः -- पूर्वश्लोकमें क्षर और अक्षर दो प्रकारके पुरुषोंका वर्णन करनेके बाद अब भगवान् यह बताते …
Bhagavad Gita 15.16
Hindi Commentary By Swami Ramsukhdas ।।15.16।। व्याख्या -- द्वाविमौ पुरुषौ लोके क्षरश्चाक्षर एव च -- यहाँ लोके पदको सम्पूर्ण संसारका वाचक समझना चाहिये। इसी …
Bhagavad Gita 15.15
Hindi Commentary By Swami Ramsukhdas ।।15.15।। व्याख्या -- सर्वस्य चाहं हृदि संनिविष्टः (टिप्पणी प0 776) -- पीछेके श्लोकोंमें अपनी विभूतियोंका वर्णन करनेके बाद …
Bhagavad Gita 15.14
Hindi Commentary By Swami Ramsukhdas ।।15.14।। व्याख्या -- अहं वैश्वानरो भूत्वा प्राणिनां देहमाश्रितः -- बारहवें श्लोकमें अग्निकी प्रकाशनशक्तिमें अपने प्रभावका वर्णन …
Bhagavad Gita 15.13
Hindi Commentary By Swami Ramsukhdas ।।15.13।। व्याख्या -- गामाविश्य च भूतानि धारयाम्यहमोजसा -- भगवान् ही पृथ्वीमें प्रवेश करके उसपर स्थित सम्पूर्ण स्थावरजङ्गम …
Bhagavad Gita 15.12
Hindi Commentary By Swami Ramsukhdas ।।15.12।। व्याख्या -- [प्रभाव और महत्त्वकी ओर आकर्षित होना जीवका स्वभाव है। प्राकृत पदार्थोंके सम्बन्धसे जीव प्राकृत पदार्थोंके प्रभावसे …