पैठणमें संवत् १५९०के लगभग श्रीएकनाथजीका जन्म हुआ था। इनके पिता श्रीसूर्यनारायणजी और माता श्रीरुक्मिणीजी थीं। जन्मके कुछ काल बाद ही माता-पिताका देहान्त हो जानेके कारण इनका पालन-पोषण इनके पितामह …
Bhagavad Gita 15.20
Hindi Commentary By Swami Ramsukhdas ।।15.20।। व्याख्या -- अनघ -- अर्जुनको निष्पाप इसलिये कहा गया है कि वे दोषदृष्टि(असूया) से रहित थे। दोषदृष्टि करना पाप है। इससे …
Bhagavad Gita 15.19
Hindi Commentary By Swami Ramsukhdas ।।15.19।। व्याख्या -- यो मामेवमसम्मूढः -- जीवात्मा परमात्माका सनातन अंश है। अतः अपने अंशी परमात्माके वास्तविक सम्बन्ध(जो सदासे ही है) …
Bhagavad Gita 15.18
Hindi Commentary By Swami Ramsukhdas ।।15.18।। व्याख्या -- यस्मात्क्षरमतीतोऽहम् -- इन पदोंमें भगवान्का यह भाव है कि क्षर (प्रकृति) प्रतिक्षण परिवर्तनशील है और मैं …
Bhagavad Gita 15.17
Hindi Commentary By Swami Ramsukhdas ।।15.17।। व्याख्या -- उत्तमः पुरुषस्त्वन्यः -- पूर्वश्लोकमें क्षर और अक्षर दो प्रकारके पुरुषोंका वर्णन करनेके बाद अब भगवान् यह बताते …
Bhagavad Gita 15.16
Hindi Commentary By Swami Ramsukhdas ।।15.16।। व्याख्या -- द्वाविमौ पुरुषौ लोके क्षरश्चाक्षर एव च -- यहाँ लोके पदको सम्पूर्ण संसारका वाचक समझना चाहिये। इसी …
Bhagavad Gita 15.15
Hindi Commentary By Swami Ramsukhdas ।।15.15।। व्याख्या -- सर्वस्य चाहं हृदि संनिविष्टः (टिप्पणी प0 776) -- पीछेके श्लोकोंमें अपनी विभूतियोंका वर्णन करनेके बाद …
Bhagavad Gita 15.14
Hindi Commentary By Swami Ramsukhdas ।।15.14।। व्याख्या -- अहं वैश्वानरो भूत्वा प्राणिनां देहमाश्रितः -- बारहवें श्लोकमें अग्निकी प्रकाशनशक्तिमें अपने प्रभावका वर्णन …
Bhagavad Gita 15.13
Hindi Commentary By Swami Ramsukhdas ।।15.13।। व्याख्या -- गामाविश्य च भूतानि धारयाम्यहमोजसा -- भगवान् ही पृथ्वीमें प्रवेश करके उसपर स्थित सम्पूर्ण स्थावरजङ्गम …
Bhagavad Gita 15.12
Hindi Commentary By Swami Ramsukhdas ।।15.12।। व्याख्या -- [प्रभाव और महत्त्वकी ओर आकर्षित होना जीवका स्वभाव है। प्राकृत पदार्थोंके सम्बन्धसे जीव प्राकृत पदार्थोंके प्रभावसे …
Bhagavad Gita 15.11
Hindi Commentary By Swami Ramsukhdas ।।15.11।। व्याख्या -- यतन्तो योगिनश्चैनं पश्यन्ति -- यहाँ योगिनः पद उन सांख्ययोगी साधकोंका वाचक है? जिनका एकमात्र उद्देश्य …
Bhagavad Gita 15.10
Hindi Commentary By Swami Ramsukhdas ।।15.10।। व्याख्या -- उत्क्रामन्तम् -- स्थूलशरीरको छोड़ते समय जीव सूक्ष्म और कारणशरीरको साथ लेकर प्रस्थान करता है। इसी क्रियाको …
Bhagavad Gita 15.9
Hindi Commentary By Swami Ramsukhdas ।।15.9।। व्याख्या -- अधिष्ठाय मनश्चायम् -- मनमें अनेक प्रकारके (अच्छेबुरे) संकल्पविकल्प होते रहते हैं। इनसे स्वयं की स्थितिमें कोई …
Bhagavad Gita 15.8
Hindi Commentary By Swami Ramsukhdas ।।15.8।। व्याख्या -- वायुर्गन्धानिवाशयात् -- जिस प्रकार वायु इत्रके फोहेसे गन्ध ले जाती है किन्तु वह गन्ध स्थायीरूपसे वायुमें नहीं …
Bhagavad Gita 15.7
Hindi Commentary By Swami Ramsukhdas ।।15.7।। व्याख्या -- ममैवांशो जीवलोके जीवभूतः सनातनः -- जिनके साथ जीवकी तात्त्विक अथवा स्वरूपकी एकता नहीं है? ऐसे प्रकृति और …