प्रेम के इस परमोच्च और पूर्ण आदर्श को मानवी भाषा में प्रकट करना असम्भव है। उच्चतम मानवी कल्पना भी उसकी अनन्त पूर्णता तथा सौन्दर्य का अनुभव करने में असमर्थ है। परन्तु फिर भी सब समय, सारे देशों में, …
Continue Reading about दैवी प्रेम की मानवी विवेचना – स्वामी विवेकानन्द →