Hindi Commentary By Swami Ramsukhdas ।।6.11।। व्याख्या--'शुचौ देशे'--भूमिकी शुद्धि दो तरहकी होती है--(1) स्वाभाविक शुद्ध स्थान; जैसे--गङ्गा आदिका किनारा; जंगल; तुलसी, आँवला, पीपल आदि पवित्र …
Bhagavad Gita 6.10
Hindi Commentary By Swami Ramsukhdas ।।6.10।। व्याख्या--[पाँचवें अध्यायके सत्ताईसवें-अट्ठाईसवें श्लोकोंमें जिस ध्यानयोगका संक्षेपसे वर्णन किया था, अब यहाँ उसीका विस्तारसे वर्णन कर रहे …
Bhagavad Gita 6.9
Hindi Commentary By Swami Ramsukhdas ।।6.9।। व्याख्या--[आठवें श्लोकमें पदार्थोंमें समता बतायी, अब इस श्लोकमें व्यक्तियोंमें समता बताते हैं। व्यक्तियोंमें समता बतानेका तात्पर्य है कि वस्तु तो …
Bhagavad Gita 6.8
Hindi Commentary By Swami Ramsukhdas ।।6.8।। व्याख्या--'ज्ञानविज्ञानतृप्तात्मा'--यहाँ कर्मयोगका प्रकरण है; अतः यहाँ कर्म करनेकी जानकारीका नाम 'ज्ञान' है और कर्मोंकी सिद्धि-असिद्धिमें सम रहनेका …
Bhagavad Gita 6.7
Hindi Commentary By Swami Ramsukhdas ।।6.7।। व्याख्या--[छठे श्लोकमें'अनात्मनः' पद और यहाँ 'जितात्मनः' पद आया है। इसका तात्पर्य है कि जो 'अनात्मा' होता है, वह शरीरादि प्राकृत …
Bhagavad Gita 6.18
Hindi Commentary By Swami Ramsukhdas ।।6.18।। व्याख्या--[इस अध्यायके दसवेंसे तेरहवें श्लोकतक सभी ध्यानयोगी साधकोंके लिये बिछाने और बैठनेवाले आसनोंकी विधि बतायी। चौदहवें और पंद्रहवें श्लोकमें …
Bhagavad Gita 6.16
Hindi Commentary By Swami Ramsukhdas ।।6.16।। व्याख्या--'नात्यश्नतस्तु योगोऽस्ति'--अधिक खानेवालेका योग सिद्ध नहीं होता (टिप्पणी प0 347)। कारण कि अन्न अधिक खानेसे अर्थात् भूखके बिना …
Bhagavad Gita, Chapter 6
Bhagavad Gita, Chapter 5
Bhagavad Gita, Chapter 4
Bhagavad Gita, Chapter 3
Bhagavad Gita, Chapter 2
Bhagavad Gita 1.47
Hindi Commentary By Swami Ramsukhdas ।।1.47।। व्याख्या--'एवमुक्त्वार्जुनः ৷৷. शोकसंविग्नमानसः'--युद्ध करना सम्पूर्ण अनर्थोंका मूल है, युद्ध करनेसे यहाँ कुटुम्बियोंका नाश होगा, परलोकमें नरकोंकी …
Bhagavad Gita 1.46
Hindi Commentary By Swami Ramsukhdas 1.46।। व्याख्या--'यदि माम् ৷৷. क्षेमतरं भवेत्'--अर्जुन करते हैं कि अगर मैं युद्धसे सर्वथा निवृत्त हो जाऊँगा, तो शायद ये दुर्योधन आदि भी युद्धसे …
Bhagavad Gita 1.16
Hindi Commentary By Swami Ramsukhdas ।।1.16।। व्याख्या--'अनन्तविजयं राजा ৷৷. सुघोषमणिपुष्पकौ'-- अर्जुन, भीम और युधिष्ठिर--ये तीनों कुन्तीके पुत्र हैं तथा नकुल और सहदेव--ये दोनों माद्रीके …