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Ranka and Banka
पण्ढरपुरमें लक्ष्मीदत्त नामके एक ऋग्वेदी ब्राह्मण रहते थे। ये संतोंकी बड़े प्रेमसे सेवा किया करते थे। एक बार इनके यहाँ साक्षात् नारायण संतरूपसे पधारे और आशीर्वाद दे गये कि तुम्हारे यहाँ एक परम विरक्त …
Visoba Saraf
पण्ढरपुरसे पचास कोसपर औंढ़िया नागनाथ एक प्रसिद्ध शिवक्षेत्र है। यहींपर यजुर्वेदी ब्राह्मणकुलमें विसोबाका जन्म हुआ था। सराफीका काम करनेके कारण ये सराफ कहे जाते थे। विसोबाके घरमें साध्वी पत्नी और चार …
Bhagavad Gita 12.20
Hindi Commentary By Swami Ramsukhdas ।।12.20।। व्याख्या -- ये तु -- यहाँ ये पदसे भगवान्ने उन साधक भक्तोंका संकेत किया है? जिनके विषयमें अर्जुनने पहले श्लोकमें …
Bhagavad Gita 12.19
Hindi Commentary By Swami Ramsukhdas ।।12.19।। व्याख्या--'समः शत्रौ च मित्रे च'--यहाँ भगवान्ने भक्तमें व्यक्तियोंके प्रति होनेवाली समताका वर्णन किया है। सर्वत्र भगवद्बुद्धि होने तथा …
Bhagavad Gita 12.18
Hindi Commentary By Swami Ramsukhdas ।।12.18।। व्याख्या -- समः शत्रौ च मित्रे च -- यहाँ भगवान्ने भक्तमें व्यक्तियोंके प्रति होनेवाली समताका वर्णन किया है। सर्वत्र …
Bhagavad Gita 12.17
Hindi Commentary By Swami Ramsukhdas ।।12.17।। व्याख्या--'यो न हृष्यति न द्वेष्टि न शोचति न काङ्क्षति'--मुख्य विकार चार हैं -- (1) राग, (2) द्वेष, (3) हर्ष और (4) शोक (टिप्पणी …
Bhagavad Gita 12.16
Hindi Commentary By Swami Ramsukhdas ।।12.16।। व्याख्या--'अनपेक्षः'--भक्त भगवान्को ही सर्वश्रेष्ठ मानता है। उसकी दृष्टिमें भगवत्प्राप्तिसे बढ़कर दूसरा कोई लाभ नहीं होता। अतः संसारकी किसी भी …
Bhagavad Gita 12.15
Hindi Commentary By Swami Ramsukhdas ।।12.15।। व्याख्या--'यस्मान्नोद्विजते लोकः'--भक्त सर्वत्र और सबमें अपने परमप्रिय प्रभुको ही देखता है। अतः उसकी दृष्टिमें मन, वाणी और शरीरसे होनेवाली …
Bhagavad Gita 12.14
Hindi Commentary By Swami Ramsukhdas ।।12.14।। व्याख्या--'अद्वेष्टा सर्वभूतानाम्'--अनिष्ट करनेवालोंके दो भेद हैं -- (1) इष्टकी प्राप्तिमें अर्थात् धन, मान-बड़ाई, आदर-सत्कार आदिकी प्राप्तिमें …
Bhagavad Gita 12.13
Hindi Commentary By Swami Ramsukhdas ।।12.13।। व्याख्या --'अद्वेष्टा सर्वभूतानाम्'-- अनिष्ट करनेवालोंके दो भेद हैं -- (1) इष्टकी प्राप्तिमें अर्थात् धन, मान-बड़ाई, आदर-सत्कार आदिकी …
Bhagavad Gita 12.12
Hindi Commentary By Swami Ramsukhdas ।।12.12।। व्याख्या--[भगवान्ने आठवें श्लोकसे ग्यारहवें श्लोकतक एक-एक साधनमें असमर्थ होनेपर क्रमशः समर्पण-योग, अभ्यासयोग, भगवदर्थ कर्म और कर्मफल-त्याग--ये …
Bhagavad Gita 12.11
Hindi Commentary By Swami Ramsukhdas ।।12.11।। व्याख्या--'अथैतदप्यशक्तोऽसि कर्तुं मद्योगमाश्रितः'--पूर्वश्लोकमें भगवान्ने अपने लिये ही सम्पूर्ण कर्म करनेसे अपनी प्राप्ति बतायी और अब इस …
Bhagavad Gita 12.10
Hindi Commentary By Swami Ramsukhdas ।।12.10।। व्याख्या--'अभ्यासेऽप्यसमर्थोऽसि मत्कर्मपरमो भव'-- यहाँ 'अभ्यासे' पदका अभिप्राय पीछेके (नवें) श्लोकमें वर्णित अभ्यासयोग से है। …
Bhagavad Gita 12.9
Hindi Commentary By Swami Ramsukhdas ।।12.9।। व्याख्या--अथ चित्तं समाधातुं ৷৷. मामिच्छाप्तुं धनञ्जय--यहाँ 'चित्तम्' पदका अर्थ 'मन' है। परन्तु इस श्लोकका पीछेके श्लोकमें वर्णित साधनसे …