Hindi Commentary By Swami Ramsukhdas ।।13.31।। व्याख्या -- [प्रकृतिके दो रूप हैं -- क्रिया और पदार्थ। क्रियासे सम्बन्धविच्छेद करनेके लिये उनतीसवाँ श्लोक कहा? अब पदार्थसे …
Bhagavad Gita 13.30
Hindi Commentary By Swami Ramsukhdas ।।13.30।। व्याख्या -- प्रकृत्यैव च कर्माणि क्रियमाणानि सर्वशः -- वास्तवमें चेतन तत्त्व स्वतःस्वाभाविक निर्विकार? सम और शान्तरूपसे …
Bhagavad Gita 13.29
Hindi Commentary By Swami Ramsukhdas ।।13.29।। व्याख्या -- समं पश्यन्हि ৷৷. हिनस्त्यात्मनात्मानम् -- जो मनुष्य स्थावरजङ्गम? जडचेतन प्राणियोंमें? ऊँचनीच योनियोंमें? तीनों …
Bhagavad Gita 13.28
Hindi Commentary By Swami Ramsukhdas ।।13.28।। व्याख्या -- समं सर्वेषु भूतेषु -- परमात्माको सम्पूर्ण प्राणियोंमें सम कहनेका तात्पर्य है कि सभी प्राणी विषम हैं अर्थात् …
Bhagavad Gita 13.27
Hindi Commentary By Swami Ramsukhdas ।।13.27।। व्याख्या -- यावत्संजायते ৷৷. क्षेत्रक्षेत्रज्ञसंयोगात् -- स्थिर रहनेवाले वृक्ष? लता? दूब? गुल्म? त्वक्सार? बेंत? बाँस? …
Bhagavad Gita 13.26
Hindi Commentary By Swami Ramsukhdas ।।13.26।। व्याख्या -- अन्ये त्वेवमजानन्तः ৷৷. मृत्युं श्रुतिपरायणाः -- कई ऐसे तत्त्वप्राप्तिकी उत्कण्ठावाले मनुष्य हैं? जो ध्यानयोग? …
Bhagavad Gita 13.25
Hindi Commentary By Swami Ramsukhdas ।।13.25।। व्याख्या -- ध्यानेनात्मनि पश्यन्ति केचिदात्मानमात्मना -- पाँचवें अध्यायके सत्ताईसवेंअट्ठाईसवें श्लोकोंमें छठे अध्यायके …
Bhagavad Gita 13.24
Hindi Commentary By Swami Ramsukhdas ।।13.24।। व्याख्या -- य एवं वेत्ति ৷৷. न स भूयोऽभिजायते -- पूर्वश्लोकमें देहेऽस्मिन् पुरुषः परः पदोंसे पुरुषको देहसे पर …
Bhagavad Gita 13.23
Hindi Commentary By Swami Ramsukhdas ।।13.23।। व्याख्या -- उपद्रष्टानुमन्ता च भर्ता भोक्ता महेश्वरः -- यह पुरुष स्वरूपसे नित्य है? सब जगह परिपूर्ण है? स्थिर है? अचल है? …
Bhagavad Gita 13.22
Hindi Commentary By Swami Ramsukhdas ।।13.22।। व्याख्या -- पुरुषः प्रकृतिस्थो (टिप्पणी प0 697) हि भुङ्क्ते प्रकृतिजान्गुणान् -- वास्तवमें पुरुष प्रकृति(शरीर) में …
Bhagavad Gita 13.21
Hindi Commentary By Swami Ramsukhdas ।।13.21।। व्याख्या -- [इसी अध्यायके तीसरे श्लोकमें भगवान्ने क्षेत्रके विषयमें यच्च (जो है)? यादृक् च (जैसा …
Bhagavad Gita 13.20
Hindi Commentary By Swami Ramsukhdas ।।13.20।। व्याख्या -- [इसी अध्यायके तीसरे श्लोकमें भगवान्ने क्षेत्रके विषयमें यच्च (जो है)? यादृक् च (जैसा …
Bhagavad Gita 13.19
Hindi Commentary By Swami Ramsukhdas ।।13.19।। व्याख्या -- इति क्षेत्रं तथा ज्ञानं ज्ञेयं चोक्तं समासतः -- इसी अध्यायके पाँचवें और छठे श्लोकमें जिसका वर्णन किया गया है? …
Bhagavad Gita 13.18
Hindi Commentary By Swami Ramsukhdas ।।13.18।। व्याख्या -- ज्योतिषामपि तज्ज्योतिः -- ज्योति नाम प्रकाश(ज्ञान) का है अर्थात् जिनसे प्रकाश मिलता है? ज्ञान होता है? वे सभी …
Bhagavad Gita 13.17
Hindi Commentary By Swami Ramsukhdas ।।13.17।। व्याख्या -- अविभक्तं च भूतेषु विभक्तमिव च स्थितम् -- इस त्रिलोकीमें देखने? सुनने और समझनेमें जितने भी स्थावरजङ्गम प्राणी …