Hindi Commentary By Swami Ramsukhdas ।।14.8।। व्याख्या -- तमस्त्वज्ञानजं विद्धि मोहनं सर्वदेहिनाम् -- सत्त्वगुण और रजोगुण -- इन दोनोंसे तमोगुणको अत्यन्त निकृष्ट बतानेके …
Bhagavad Gita 14.7
Hindi Commentary By Swami Ramsukhdas ।।14.7।। व्याख्या -- रजो रागात्म्कं विद्धि -- यह रजोगुण रागस्वरूप है अर्थात् किसी वस्तु? व्यक्ति? परिस्थिति? घटना? क्रिया आदिमें जो …
Bhagavad Gita 14.6
Hindi Commentary By Swami Ramsukhdas ।।14.6।। व्याख्या -- तत्र सत्त्वं निर्मलत्वात् -- पूर्वश्लोकमें सत्त्व? रज और तम -- इन तीनों गुणोंकी बात कही। इन तीनों गुणोंमें …
Bhagavad Gita 14.5
Hindi Commentary By Swami Ramsukhdas ।।14.5।। व्याख्या -- सत्त्वं रजस्तम इति गुणाः प्रकृतिसम्भवाः -- तीसरे और चौथे श्लोकमें जिस मूल प्रकृतिको महद् ब्रह्म नामसे कहा है? …
Bhagavad Gita 14.20
Hindi Commentary By Swami Ramsukhdas ।।14.20।। व्याख्या -- गुणानेतानतीत्य त्रीन्देही देहसमुद्भवान् -- यद्यपि विचारकुशल मनुष्यका देहके साथ सम्बन्ध नहीं होता? तथापि लोगोंकी …
Bhagavad Gita 14.4
Hindi Commentary By Swami Ramsukhdas ।।14.4।। व्याख्या -- सर्वयोनिषु कौन्तेय मूर्तयः सम्भवन्ति याः -- जरायुज (जेरके साथ पैदा होनेवाले मनुष्य? पशु आदि)? अण्डज (अण्डेसे …
Bhagavad Gita 14.3
Hindi Commentary By Swami Ramsukhdas ।।14.3।। व्याख्या -- मम योनिर्महद्ब्रह्म -- यहाँ मूल प्रकृतिको महद्ब्रह्म नामसे कहा गया है? इसके कई कारण हो सकते हैं जैसे …
Bhagavad Gita 14.2
Hindi Commentary By Swami Ramsukhdas ।।14.2।। व्याख्या -- इदं ज्ञानमुपाश्रित्य -- पूर्वश्लोकमें भगवान्ने उत्तम और पर -- इन दो विशेषणोंसे जिस ज्ञानकी महिमा कही थी? उस …
Bhagavad Gita 14.1
Hindi Commentary By Swami Ramsukhdas ।।14.1।। व्याख्या--'परं भूयः प्रवक्ष्यामि ज्ञानानां ज्ञानमुत्तमम्'--तेरहवें अध्यायके अठारहवें, तेईसवें और चौंतीसवें श्लोकमें भगवान्ने क्षेत्र-क्षेत्रज्ञका, …
Bhagavad Gita, Chapter 14
Swami Rama Tirtha
पंजाबके मुरलीवाला ग्राममें सन् १८७३ को दिवालीके दिन गोस्वामी ब्राह्मणकुलमें रामतीर्थका जन्म हुआ। इनका घरका नाम तीर्थराम था। जन्मके कुछ समय ही बाद माताका परलोकवास हो जानेके कारण इनका पालन-पोषण इनकी …
Bhgavad Gita 13.35
Hindi Commentary By Swami Ramsukhdas ।।13.35।। व्याख्या -- [ज्ञानमार्ग विवेकसे ही आरम्भ होता है और वास्तविक विवेक(बोध) में ही समाप्त होता है। वास्तविक विवेक होनेपर प्रकृतिसे सर्वथा …
Bhagavad Gita 13.34
Hindi Commentary By Swami Ramsukhdas ।।13.34।। व्याख्या -- यथा प्रकाशयत्येकः कृत्स्नं लोकमिमं रविः -- नेत्रोंसे दीखनेवाले इस सम्पूर्ण संसारको? संसारके मात्र पदार्थोंको एक …
Bhagavad Gita 13.33
Hindi Commentary By Swami Ramsukhdas ।।13.33।। व्याख्या -- [पूर्वश्लोकमें भगवान्ने न करोति पदोंसे पहले कर्तृत्वका और फिर न लिप्यते पदोंसे भोक्तृत्वका अभाव बताया …
Bhagavad Gita 13.32
Hindi Commentary By Swami Ramsukhdas ।।13.32।। व्याख्या -- अनादित्वान्निर्गुणत्वात्परमात्मायमव्ययः -- इसी अध्यायके उन्नीसवें श्लोकमें जिसको अनादि कहा है? उसीको यहाँ …