Hindi Commentary By Swami Ramsukhdas ।।9.8।। व्याख्या--'भूतग्राममिमं कृत्स्नमवशं प्रकृतेर्वशात्'-- यहाँ प्रकृति शब्द व्यष्टि प्रकृतिका वाचक है। महाप्रलयके समय सभी प्राणी अपनी व्यष्टि …
Bhagavad Gita 9.7
Hindi Commentary By Swami Ramsukhdas ।।9.7।। व्याख्या--'सर्वभूतानि कौन्तेय प्रकृतिं यान्ति मामिकां कल्पक्षये' -- सम्पूर्ण प्राणी मेरे ही अंश हैं और सदा मेरेमें ही स्थित रहनेवाले हैं। …
Bhagavad Gita 9.6
Hindi Commentary By Swami Ramsukhdas ।।9.6।। व्याख्या--'यथाकाशस्थितो नित्यं वायुः सर्वत्रगो महान्'-- जैसे सब जगह विचरनेवाली महान् वायु नित्य ही आकाशमें स्थित रहती है अर्थात् वह कहीं …
Bhagavad Gita 9.5
Hindi Commentary By Swami Ramsukhdas ।।9.5।। व्याख्या--'मया ततमिदं सर्वं जगदव्यक्तमूर्तिना'--मन-बुद्धि-इन्द्रियोंसे जिसका ज्ञान होता है, वह भगवान्का व्यक्तरूप है और जो मन-बुद्धि-इन्द्रियोंका …
Bhagavad Gita 9.4
Hindi Commentary By Swami Ramsukhdas ।।9.4।। व्याख्या--'मया ततमिदं सर्वं जगदव्यक्तमूर्तिना'--मन-बुद्धि-इन्द्रियोंसे जिसका ज्ञान होता है, वह भगवान्का व्यक्तरूप है और जो मन-बुद्धि-इन्द्रियोंका …
Bhagavad Gita 9.3
Hindi Commentary By Swami Ramsukhdas ।।9.3।। व्याख्या--'अश्रद्दधानाः पुरुषा धर्मस्यास्य (टिप्पणी प0 486) परंतप'--धर्म दो तरहका होता है--स्वधर्म और परधर्म। मनुष्यका जो अपना स्वतःसिद्ध …