Hindi Commentary By Swami Ramsukhdas ।।8.26।। व्याख्या--'शुक्लकृष्णे गती ह्येते जगतः शाश्वते मते'--शुक्ल और कृष्ण--इन दोनों मार्गोंका सम्बन्ध जगत्के सभी चर-अचर प्राणियोंके साथ है। तात्पर्य है …
Bhagavad Gita 8.25
Hindi Commentary By Swami Ramsukhdas ।।8.25।। व्याख्या--'धूमो रात्रिस्तथा कृष्णः ৷৷. प्राप्य निवर्तते'--देश और कालकी दृष्टिसे जितना अधिकार अग्नि अर्थात् प्रकाशके देवताका है, उतना ही अधिकार धूम …
Bhagavad Gita 8.24
Hindi Commentary By Swami Ramsukhdas ।।8.24।। व्याख्या--'अग्निर्ज्योतिरहः शुक्लः षण्मासा उत्तरायणम्'--इस भूमण्डलपर शुक्लमार्गमें सबसे पहले अग्निदेवताका अधिकार रहता है। अग्नि रात्रिमें प्रकाश …
Bhagavad Gita 8.23
Hindi Commentary By Swami Ramsukhdas ।।8.23।। व्याख्या --[जीवित अवस्थामें ही बन्धनसे छूटनेको 'सद्योमुक्ति' कहते हैं अर्थात् जिनको यहाँ ही भगवत्प्राप्ति हो गयी, भगवान्में अनन्यभक्ति हो गयी, …
Bhagavad Gita 8.22
Hindi Commentary By Swami Ramsukhdas ।।8.22।। व्याख्या--'यस्यान्तःस्थानि भूतानि येन सर्वमिदं ततम्'--सातवें अध्यायके बारहवें श्लोकमें भगवान्ने निषेधरूपसे कहा कि सात्त्विक, राजस और तामस भाव …
Bhagavad Gita 8.21
Hindi Commentary By Swami Ramsukhdas ।।8.21।। व्याख्या--'अव्यक्तोऽक्षर ৷৷. तद्धाम परमं मम'--भगवान्ने सातवें अध्यायके अट्ठाईसवें, उन्तीसवें और तीसवें श्लोकमें जिसको 'माम्', कहा है तथा …