Hindi Commentary By Swami Ramsukhdas ।।10.22।। व्याख्या--'वेदानां सामवेदोऽस्मि'--वेदोंकी जो ऋचाएँ स्वरसहित गायी जाती हैं, उनका नाम सामवेद है। सामवेदमें इन्द्ररूपसे भगवान्की स्तुतिका वर्णन है। …
Bhagavad Gita 10.21
Hindi Commentary By Swami Ramsukhdas ।।10.21।। व्याख्या--'आदित्यानामहं विष्णुः'--अदितिके धाता, मित्र आदि जितने पुत्र हैं? उनमें 'विष्णु' अर्थात् वामन मुख्य हैं। भगवान्ने ही वामनरूपसे अवतार …
Bhagavad gita 10.20
Hindi Commentary By Swami Ramsukhdas ।।10.20।। व्याख्या--[भगवान्का चिन्तन दो तरहसे होता है-- (1) साधक अपना जो इष्ट मानता है, उसके सिवाय दूसरा कोई भी चिन्तन न हो। कभी हो भी जाय तो मनको वहाँसे …
Bhagavad Gita 10.19
Hindi Commentary By Swami Ramsukhdas ।।10.19।। व्याख्या--'हन्त ते कथयिष्यामि दिव्या ह्यात्मविभूतयः'--योग और विभूति कहनेके लिये अर्जुनकी जो प्रार्थना है, उसको 'हन्त' अव्ययसे स्वीकार …
Bhagavad Gita 10.17
Hindi Commentary By Swami Ramsukhdas ।।10.17।। व्याख्या--'कथं विद्यामहं योगिंस्त्वां सदा परिचिन्तयन्'--सातवें श्लोकमें भगवान्ने कहा कि जो मेरी विभूति और योगको तत्त्वसे जानता है, वह अविचल …
Bhagavad Gita 10.16
Hindi Commentary By Swami Ramsukhdas ।।10.16।। व्याख्या--'याभिर्विभूतिभिर्लोकानिमांस्त्वं व्याप्य तिष्ठसि' -- भगवान्ने पहले (सातवें श्लोकमें) यह बात कही थी कि जो मनुष्य मेरी विभूतियोंको …