Hindi Commentary By Swami Ramsukhdas ।।11.26।। व्याख्या--'भीष्मो द्रोणः सूतपुत्रस्तथासौ सहास्मदीयैरपि योधमुख्यैः'--हमारे पक्षके धृष्टद्युम्न, विराट्, द्रुपद आदि जो मुख्य-मुख्य योद्धालोग हैं, …
Bhagavad Gita 11.25
Hindi Commentary By Swami Ramsukhdas ।।11.25।। व्याख्या--'दंष्ट्राकरालानि च ते मुखानि दृष्ट्वैव कालानलसन्निभानि'-- महाप्रलयके समय सम्पूर्ण त्रिलोकीको भस्म करनेवाली जो अग्नि प्रकट होती है? …
Bhagavad Gita 11.24
Hindi Commentary By Swami Ramsukhdas ।।11.24।। व्याख्या--[बीसवें श्लोकमें तो अर्जुनने विराट्रूपकी लम्बाई-चौड़ाईका वर्णन किया, अब यहाँ केवल लम्बाईका वर्णन करते हैं।] 'विष्णो' -- आप …
Bhagavad Gita 11.23
Hindi Commentary By Swami Ramsukhdas ।।11.23।। व्याख्या--[पन्द्रहवेंसे अठारहवें श्लोकतक विश्वरूपमें 'देव'-रूपका, उन्नीसवेंसे बाईसवें श्लोकतक 'उग्र'-रूपका और तेईसवेंसे तीसवें श्लोकतक 'अत्यन्त …
Bhagavad Gita 11.22
Hindi Commentary By Swami Ramsukhdas ।।11.22।। व्याख्या--'रुद्रादित्या वसवो ये च साध्या विश्वेऽश्विनौ मरुतश्चोष्मपाश्च'--ग्यारह रुद्र, बारह आदित्य, आठ वसु, दो अश्विनीकुमार और उनचास मरुद्गण -- …
Bhagavad Gita 11.21
Hindi Commentary By Swami Ramsukhdas ।।11.21।। व्याख्या--'अमी हि त्वां सुरसङ्घा विशन्ति'--जब अर्जुन स्वर्गमें गये थे, उस समय उनका जिन देवताओंसे परिचय हुआ था, उन्हीं देवताओंके लिये यहाँ अर्जुन …