Hindi Commentary By Swami Ramsukhdas ।।12.1।। व्याख्या--'एवं सततयुक्ता ये भक्ताः'--ग्यारहवें अध्यायके पचपनवें श्लोकमें भगवान्ने 'यः' और 'सः' पद जिस साधकके लिये प्रयुक्त …
Bhagavad Gita, Chapter 12
Bhagavad Gita 11.55
Hindi Commentary By Swami Ramsukhdas ।।11.55।। व्याख्या--[इस श्लोकमें पाँच बातें आयी हैं। इन पाँचोंको 'साधनपञ्चक' भी कहते हैं। इन पाँचों बातोंके दो विभाग हैं। (1) भगवान्के साथ घनिष्ठता और (2) …
Bhagavad Gita 11.54
Hindi Commentary By Swami Ramsukhdas ।।11.54।। व्याख्या--'भक्त्या त्वनन्यया शक्य अहमेवंविधोऽर्जुन'--यहाँ 'तु' पद पहले बताये हुए साधनोंसे विलक्षण साधन बतानेके लिये आया है। भगवान् कहते …
Bhagavad Gita 11.53
Hindi Commentary By Swami Ramsukhdas ।।11.53।। व्याख्या--'दृष्टवानसि मां यथा'--तुमने मेरा चतुर्भुजरूप मेरी कृपासे ही देखा है। तात्पर्य है कि मेरे दर्शन मेरी कृपासे ही हो सकते हैं, किसी …
Bhagavad Gita 11.52
Hindi Commentary By Swami Ramsukhdas ।।11.52।। व्याख्या--'सुदुर्दर्शमिदं रूपं दृष्टवानसि यन्मम'--यहाँ 'सुदुर्दर्शम्' पद चतुर्भुजरूपके लिये ही आया है, विराट्रूप या द्विभुजरूपके लिये …