Hindi Commentary By Swami Ramsukhdas ।।14.4।। व्याख्या -- सर्वयोनिषु कौन्तेय मूर्तयः सम्भवन्ति याः -- जरायुज (जेरके साथ पैदा होनेवाले मनुष्य? पशु आदि)? अण्डज (अण्डेसे …
Bhagavad Gita 14.3
Hindi Commentary By Swami Ramsukhdas ।।14.3।। व्याख्या -- मम योनिर्महद्ब्रह्म -- यहाँ मूल प्रकृतिको महद्ब्रह्म नामसे कहा गया है? इसके कई कारण हो सकते हैं जैसे …
Bhagavad Gita 14.2
Hindi Commentary By Swami Ramsukhdas ।।14.2।। व्याख्या -- इदं ज्ञानमुपाश्रित्य -- पूर्वश्लोकमें भगवान्ने उत्तम और पर -- इन दो विशेषणोंसे जिस ज्ञानकी महिमा कही थी? उस …
Bhagavad Gita 14.1
Hindi Commentary By Swami Ramsukhdas ।।14.1।। व्याख्या--'परं भूयः प्रवक्ष्यामि ज्ञानानां ज्ञानमुत्तमम्'--तेरहवें अध्यायके अठारहवें, तेईसवें और चौंतीसवें श्लोकमें भगवान्ने क्षेत्र-क्षेत्रज्ञका, …
Bhagavad Gita, Chapter 14
Bhgavad Gita 13.35
Hindi Commentary By Swami Ramsukhdas ।।13.35।। व्याख्या -- [ज्ञानमार्ग विवेकसे ही आरम्भ होता है और वास्तविक विवेक(बोध) में ही समाप्त होता है। वास्तविक विवेक होनेपर प्रकृतिसे सर्वथा …