प्रसादे सर्वदुःखानां हानिरस्योपजायते ।प्रसन्नचेतसो ह्याशु बुद्धिः पर्यवतिष्ठते ॥65॥ prasāde sarvaduḥkhānāṃ hānirasyopajāyateprasannacetaso hyāśu buddhiḥ paryavatiṣṭhate prasādaṃ = the …
Bhagavad Gita Chapter 10 Overview
मनुष्यके पास चिन्तन करनेकी जो शक्ति है, उसको भगवान्के चिन्तनमें ही लगाना चाहिये। संसारमें जिस किसीमें, जहाँ-कहीं विलक्षणता, विशेषता, महत्ता, अलौकिकता, सुन्दरता आदि दीखती है, उसमें मन खिंचता है, वह …
Bhagavad Gita Chapter 15 Overview
इस संसारका मूल आधार और इस संसारमें अत्यन्त श्रेष्ठ परमपुरुष एक परमात्मा ही है-इसको दृढ़तापूर्वक मान लेनेसे मनुष्य सर्ववित् हो जाता है, कृतकृत्य हो जाता है। जिससे यह संसार अनादिकालसे चला आ रहा है और …
Bhagavad Gita Chapter 13 Overview
संसारमें एक परमात्मतत्त्व ही जाननेयोग्य है। उसको जरूर जान लेना चाहिये। उसको तत्त्वसे जाननेपर जाननेवालेकी परमात्मतत्त्वके साथ अभिन्नता हो जाती है। जिस परमात्माको जाननेसे अमरताकी प्राप्ति हो जाती है, …
Bhagavad Gita Chapter 12 Overview
भक्त भगवान्का अत्यन्त प्यारा होता है; क्योंकि वह शरीर-इन्द्रियाँ-मन-बुद्धिसहित अपने-आपको भगवान्के अर्पण कर देता है। जो परम श्रद्धापूर्वक अपने मनको भगवान्में लगाते हैं, वे भक्त सर्वश्रेष्ठ हैं। …
Bhagavad Gita Chapter 11 Overview
अर्जुनने भगवान्की कृपासे जिस दिव्य विश्वरूपके दर्शन किये, उसको तो हरेक मनुष्य नहीं देख सकता; परन्तु आदि-अवताररूपसे प्रकट हुए इस संसारको श्रद्धापूर्वक भगवान्का रूप मानकर तो हरेक मनुष्य विश्वरूपके दर्शन …