Hindi Commentary By Swami Ramsukhdas ।।15.3।। व्याख्या -- न रूपमस्येह तथोपलभ्यते -- इसी अध्यायके पहले श्लोकमें संसारवृक्षके विषयमें कहा गया है कि लोग इसको अव्यय (अविनाशी) …
Bhagavad Gita Chapter 18 Overview
मनुष्यमात्रके उद्धारके लिये उनकी रुचि, योग्यता और श्रद्धाके अनुसार तीन साधन बताये गये हैं-कर्मयोग, ज्ञानयोग और भक्तियोग (शरणागति)। इनमेंसे किसी भी एक साधनमें मनुष्य लग जाय तो उसका उद्धार हो जाता …
Bhagavad Gita Chapter 9 Overview
सभी मनुष्य भगवत्प्राप्तिके अधिकारी हैं, चाहे वे किसी भी वर्ण, आश्रम, सम्प्रदाय, देश, वेश आदिके क्यों न हों। वे सभी भगवान्की तरफ चल सकते हैं, भगवान्का आश्रय लेकर भगवान्को प्राप्त कर सकते …
Bhagavad Gita 2.50 – Buddhi-yukto
बुद्धियुक्तो जहातीह उभे सुकृतदुष्कृते ।तस्माद्योगाय युज्यस्व योगः कर्मसु कौशलम् ॥50॥ buddhiyukto jahātīha ubhe sukṛtaduṣkṛtetasmādyogāya yujyasva yogaḥ karmasu kauśalam buddhiyuktaḥ = one …
Bhagavad Gita 2.42-2.44
यामिमां पुष्पितां वाचं प्रवदन्त्यविपश्चितः ।वेदवादरताः पार्थ नान्यदस्तीति वादिनः ॥ 42॥कामात्मानः स्वर्गपरा जन्मकर्मफलप्रदाम् ।क्रियाविशेषबहुलां भोगैश्वर्यगतिं प्रति ॥43॥भोगैश्वर्यप्रसक्तानां …
Bhagavad Gita 2.21 – Vedāvināśhinaṁ Nityaṁ
वेदाविनाशिनं नित्यं य एनमजमव्ययम् ।कथं स पुरुषः पार्थ कं घातयति हन्ति कम् ॥21॥ vedāvināśinaṃ nityaṃ ya enamajamavyayamkathaṃ sa puruṣaḥ pārtha kaṃ ghātayati hanti kam veda = …
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