Hindi Commentary By Swami Ramsukhdas ।।15.15।। व्याख्या -- सर्वस्य चाहं हृदि संनिविष्टः (टिप्पणी प0 776) -- पीछेके श्लोकोंमें अपनी विभूतियोंका वर्णन करनेके बाद …
Bhagavad Gita 15.14
Hindi Commentary By Swami Ramsukhdas ।।15.14।। व्याख्या -- अहं वैश्वानरो भूत्वा प्राणिनां देहमाश्रितः -- बारहवें श्लोकमें अग्निकी प्रकाशनशक्तिमें अपने प्रभावका वर्णन …
Bhagavad Gita 15.13
Hindi Commentary By Swami Ramsukhdas ।।15.13।। व्याख्या -- गामाविश्य च भूतानि धारयाम्यहमोजसा -- भगवान् ही पृथ्वीमें प्रवेश करके उसपर स्थित सम्पूर्ण स्थावरजङ्गम …
Bhagavad Gita 15.12
Hindi Commentary By Swami Ramsukhdas ।।15.12।। व्याख्या -- [प्रभाव और महत्त्वकी ओर आकर्षित होना जीवका स्वभाव है। प्राकृत पदार्थोंके सम्बन्धसे जीव प्राकृत पदार्थोंके प्रभावसे …
Bhagavad Gita 15.11
Hindi Commentary By Swami Ramsukhdas ।।15.11।। व्याख्या -- यतन्तो योगिनश्चैनं पश्यन्ति -- यहाँ योगिनः पद उन सांख्ययोगी साधकोंका वाचक है? जिनका एकमात्र उद्देश्य …
Bhagavad Gita 2.54 – Sthita-prajñasya
अर्जुन उवाच ।स्थितप्रज्ञस्य का भाषा समाधिस्थस्य केशव ।स्थितधीः किं प्रभाषेत किमासीत व्रजेत किम् ॥54॥ arjuna uvācasthitaprajñasya kā bhāṣā samādhisthasya keśavasthitadhīḥ kiṃ prabhāṣeta kimāsīta …
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