Hindi Commentary By Swami Ramsukhdas ।।15.17।। व्याख्या -- उत्तमः पुरुषस्त्वन्यः -- पूर्वश्लोकमें क्षर और अक्षर दो प्रकारके पुरुषोंका वर्णन करनेके बाद अब भगवान् यह बताते …
Bhagavad Gita 15.16
Hindi Commentary By Swami Ramsukhdas ।।15.16।। व्याख्या -- द्वाविमौ पुरुषौ लोके क्षरश्चाक्षर एव च -- यहाँ लोके पदको सम्पूर्ण संसारका वाचक समझना चाहिये। इसी …
Bhagavad Gita 15.15
Hindi Commentary By Swami Ramsukhdas ।।15.15।। व्याख्या -- सर्वस्य चाहं हृदि संनिविष्टः (टिप्पणी प0 776) -- पीछेके श्लोकोंमें अपनी विभूतियोंका वर्णन करनेके बाद …
Bhagavad Gita 15.14
Hindi Commentary By Swami Ramsukhdas ।।15.14।। व्याख्या -- अहं वैश्वानरो भूत्वा प्राणिनां देहमाश्रितः -- बारहवें श्लोकमें अग्निकी प्रकाशनशक्तिमें अपने प्रभावका वर्णन …
Bhagavad Gita 15.13
Hindi Commentary By Swami Ramsukhdas ।।15.13।। व्याख्या -- गामाविश्य च भूतानि धारयाम्यहमोजसा -- भगवान् ही पृथ्वीमें प्रवेश करके उसपर स्थित सम्पूर्ण स्थावरजङ्गम …
Bhagavad Gita 15.12
Hindi Commentary By Swami Ramsukhdas ।।15.12।। व्याख्या -- [प्रभाव और महत्त्वकी ओर आकर्षित होना जीवका स्वभाव है। प्राकृत पदार्थोंके सम्बन्धसे जीव प्राकृत पदार्थोंके प्रभावसे …