Hindi Commentary By Swami Ramsukhdas ।।18.72।। व्याख्या -- कच्चिदेतच्छ्रुतं पार्थ त्वयैकाग्रेण चेतसा -- एतत् शब्द अत्यन्त समीपका वाचक होता है और यहाँ अत्यन्त समीप …
Bhagavad Gita 18.71
Hindi Commentary By Swami Ramsukhdas ।।18.71।।व्याख्या -- श्रद्धावाननसूयश्च৷৷. पुण्यकर्मणाम् -- गीताकी बातोंको जैसा सुन ले? उसको प्रत्यक्षसे भी बढ़कर पूज्यभावसहित वैसाकावैसा माननेवालेका …
Bhagavad Gita 18.70
Hindi Commentary By Swami Ramsukhdas ।।18.70।। व्याख्या -- अध्येष्यते च य इमं धर्म्यं संवादमावयोः -- तुम्हारा और हमारा यह संवाद शास्त्रों? सिद्धान्तोंके साररूप धर्मसे …
Bhagavad Gita 18.68
Hindi Commentary By Swami Ramsukhdas ।।18.68।। व्याख्या -- भक्तिं मयि परां कृत्वा -- जो मेरेमें पराभक्ति करके इस गीताको कहता है। इसका तात्पर्य है कि जो रुपये? मानबड़ाई? …
Bhagavad Gita 18.67
Hindi Commentary By Swami Ramsukhdas ।।18.67।। व्याख्या -- इदं ते नातपस्काय -- पूर्वश्लोकमें आये सर्वधर्मान्परित्यज्य मामेकं शरणं व्रज -- इस सर्वगुह्यतम वचनके …
Bhagavad Gita 18.66
Hindi Commentary By Swami Ramsukhdas ।।18.66।। व्याख्या -- सर्वधर्मान्परित्यज्य मामेकं शरणं व्रज -- भगवान् कहते हैं कि सम्पूर्ण धर्मोंका आश्रय? धर्मके निर्णयका विचार …