Hindi Commentary By Swami Ramsukhdas ।।18.19।। व्याख्या -- प्रोच्यते गुणसंख्याने -- जिस शास्त्रमें गुणोंके सम्बन्धसे प्रत्येक पदार्थके भिन्नभिन्न भेदोंकी गणना की गयी है? …
Bhagavad Gita 18.18
Hindi Commentary By Swami Ramsukhdas ।।18.18।। व्याख्या -- [इसी अध्यायके चौदहवें श्लोकमें भगवान्ने कर्मोंके बननेमें पाँच हेतु बताये -- अधिष्ठान? कर्ता? करण? चेष्टा और दैव …
Bhagavad Gita 18.16
Hindi Commentary By Swami Ramsukhdas ।।18.16।। व्याख्या -- तत्रैवं सति ৷৷. पश्यति दुर्मतिः -- जितने भी कर्म होते हैं? वे सब अधिष्ठान? कर्ता? करण? चेष्टा और दैव -- इन पाँच …
Bhagavad Gita 18.15
Hindi Commentary By Swami Ramsukhdas ।।18.15।। व्याख्या -- शरीरवाङ्मनोभिर्यत्कर्म ৷৷. पञ्चैते तस्य हेतवः -- पीछेके (चौदहवें) श्लोकमें कर्मोंके होनेमें जो अधिष्ठान आदि …
Bhagavad Gita 18.14
Hindi Commentary By Swami Ramsukhdas ।।18.14।। व्याख्या -- अधिष्ठानम् -- शरीर और जिस देशमें यह शरीर स्थित है? वह देश -- ये दोनों अधिष्ठान हैं।कर्ता -- सम्पूर्ण …
Bhagavad Gita 18.13
Hindi Commentary By Swami Ramsukhdas ।।18.13।। व्याख्या -- पञ्चैतानि महाबाहो कारणानि -- हे महाबाहो जिसमें सम्पूर्ण कर्मोंका अन्त हो जाता है? ऐसे सांख्यसिद्धान्तमें …