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Bhagavad Gita 1.47
Hindi Commentary By Swami Ramsukhdas ।।1.47।। व्याख्या--'एवमुक्त्वार्जुनः ৷৷. शोकसंविग्नमानसः'--युद्ध करना सम्पूर्ण अनर्थोंका मूल है, युद्ध करनेसे यहाँ कुटुम्बियोंका नाश होगा, परलोकमें नरकोंकी …
Bhagavad Gita 1.46
Hindi Commentary By Swami Ramsukhdas 1.46।। व्याख्या--'यदि माम् ৷৷. क्षेमतरं भवेत्'--अर्जुन करते हैं कि अगर मैं युद्धसे सर्वथा निवृत्त हो जाऊँगा, तो शायद ये दुर्योधन आदि भी युद्धसे …
Bhagavad Gita 1.16
Hindi Commentary By Swami Ramsukhdas ।।1.16।। व्याख्या--'अनन्तविजयं राजा ৷৷. सुघोषमणिपुष्पकौ'-- अर्जुन, भीम और युधिष्ठिर--ये तीनों कुन्तीके पुत्र हैं तथा नकुल और सहदेव--ये दोनों माद्रीके …
Bhagavad Gita 1.45
Hindi Commentary By Swami Ramsukhdas 1.45।। व्याख्या-- 'अहो बत ৷৷. स्वजनमुद्यताः'--ये दुर्योधन आदि दुष्ट हैं। इनकी धर्मपर दृष्टि नहीं है। इनपर लोभ सवार हो गया है। इसलिये ये …
Bhagavad Gita 1.44
Hindi Commentary By Swami Ramsukhdas 1.44।। व्याख्या--'उत्सन्नकुलधर्माणाम् ৷৷. अनुशुश्रुम'--(टिप्पणी प0 30) भगवान्ने मनुष्यको विवेक दिया है, नया कर्म करनेका अधिकार दिया है। अतः …