Hindi Commentary By Swami Ramsukhdas ।।6.18।। व्याख्या--[इस अध्यायके दसवेंसे तेरहवें श्लोकतक सभी ध्यानयोगी साधकोंके लिये बिछाने और बैठनेवाले आसनोंकी विधि बतायी। चौदहवें और पंद्रहवें श्लोकमें …
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Bhagavad Gita 6.16
Hindi Commentary By Swami Ramsukhdas ।।6.16।। व्याख्या--'नात्यश्नतस्तु योगोऽस्ति'--अधिक खानेवालेका योग सिद्ध नहीं होता (टिप्पणी प0 347)। कारण कि अन्न अधिक खानेसे अर्थात् भूखके बिना …
Meditations Summary
Meditations is a series of personal writings by Marcus Aurelius, Roman Emperor from 161 to 180. Written in Greek as Ta eis heauton (To Himself), it is a collection of twelve books of meditations, …
Bhagavad Gita, Chapter 6
Bhagavad Gita, Chapter 5
Rich Dad Poor Dad Summary
Rich Dad Poor Dad is a book written by Robert Kiyosaki and Sharon Lechter. It was first published in 1997 and has since become one of the best-selling personal finance books of all time. The book is …
The Story of Philosophy Summary
The Story of Philosophy: The Lives and Opinions of the Greater Philosophers is a 1926 book by Will Durant, in which he profiles several prominent Western philosophers and their ideas, beginning with …
Adam Smith
Adam Smith was a Scottish economist and philosopher who is considered the father of modern economics. He is best known for his book The Wealth of Nations, which was published in 1776. In this …
अग्निमन्त्र (स्वामी विवेकानन्द के चुने हुए पत्र)
(१) (श्री यज्ञेश्वर भट्टाचार्य को लिखित) इलाहाबाद, ५ जनवरी, १८९० प्रिय फकीर, एक बात मैं तुमसे कहना चाहता हूँ; इसका सदा तुम ध्यान रखना कि मेरे साथ तुम लोगों का पुनः साक्षात्कार नहीं भी …
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पातंजल योगसूत्र – परिशिष्ट
योग के विषय में अन्यान्य शास्त्रों के मत श्वेताश्वतरोपनिषद्(द्वितीय अध्याय) अग्निर्यत्राभिमथ्यते वायुर्यत्राधिरुध्यते। सोमो यत्रातिरिच्यते तत्र सञ्जायते मनः॥६॥ जहाँ अग्नि का मथन किया जाता …
पातंजल योगसूत्र – कैवल्यपाद | स्वामी विवेकानन्द
जन्मौषधिमन्त्रतपः समाधिजाः सिद्धयः॥१॥ सूत्रार्थ - सिद्धियाँ जन्म, औषधि, मन्त्र, तपस्या और समाधि से प्राप्त होती हैं। व्याख्या - कभी कभी मनुष्य पूर्वजन्म में प्राप्त सिद्धियों या शक्तियों को …
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पातंजल योगसूत्र – विभूतिपाद | स्वामी विवेकानन्द
अब हम विभूतिपाद में आते हैं। देशबन्धश्चित्तस्य धारणा॥१॥ सूत्रार्थ - चित्त को किसी विशेष वस्तु में धारण करके रखने का नाम है धारणा। व्याख्या - जब मन शरीर के भीतर या उसके बाहर किसी वस्तु के …
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पातंजल योगसूत्र – साधनपाद | स्वामी विवेकानन्द
तपःस्वाध्यायेश्वरप्रणिधानानि क्रियायोगः॥१॥ सूत्रार्थ - तपस्या, अध्यात्मशास्त्रों के पठन-पाठन और ईश्वर में समस्त कर्मफलों के समर्पण को क्रियायोग कहते हैं। व्याख्या - पिछले अध्याय में जिन सब …
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पातंजल योगसूत्र – समाधिपाद | स्वामी विवेकानन्द
अथ योगानुशासनम्॥१॥ सूत्रार्थ - अथ योग की व्याख्या करते हैं। योगश्चित्तवृत्तिनिरोधः॥२॥ सूत्रार्थ - चित्त को विभिन्न वृत्तियों अर्थात् आकारों में परिणत होने से रोकना ही योग …
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पातंजल योगसूत्र – प्रस्तावना | स्वामी विवेकानन्द
योगसूत्रों को हाथ में लेने से पहले मैं एक ऐसे प्रश्न की चर्चा करने का प्रयत्न करूँगा, जिस पर योगियों के सारे धार्मिक मत प्रतिष्ठित हैं। ऐसा मालूम पड़ता है कि संसार के सभी श्रेष्ठ मनीषी इस बात में एकमत …
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