The 5 Love Languages is a book by Gary Chapman that outlines five different ways that people express and receive love: words of affirmation, quality time, receiving gifts, acts of service, and …
Main Content
Bhagavad Gita, Chapter 9
Bhagavad Gita 8.28
Hindi Commentary By Swami Ramsukhdas ।।8.28।। व्याख्या--'वेदेषु यज्ञेषु तपःसु ৷৷. स्थानमुपैति चाद्यम्'--यज्ञ, दान, तप, तीर्थ, व्रत आदि जितने भी शास्त्रीय उत्तम-से-उत्तम कार्य हैं और उनका जो फल …
Bhagavad Gita 8.27
Hindi Commentary By Swami Ramsukhdas ।।8.27।। व्याख्या--'नैते सृती पार्थ जानन्योगी मुह्यति कश्चन'--शुक्लमार्ग प्रकाशमय है और कृष्णमार्ग अन्धकारमय है। जिनके अन्तःकरणमें उत्पत्ति-विनाशशील …
Bhagavad Gita 8.26
Hindi Commentary By Swami Ramsukhdas ।।8.26।। व्याख्या--'शुक्लकृष्णे गती ह्येते जगतः शाश्वते मते'--शुक्ल और कृष्ण--इन दोनों मार्गोंका सम्बन्ध जगत्के सभी चर-अचर प्राणियोंके साथ है। तात्पर्य है …
Bhagavad Gita 8.25
Hindi Commentary By Swami Ramsukhdas ।।8.25।। व्याख्या--'धूमो रात्रिस्तथा कृष्णः ৷৷. प्राप्य निवर्तते'--देश और कालकी दृष्टिसे जितना अधिकार अग्नि अर्थात् प्रकाशके देवताका है, उतना ही अधिकार धूम …
Bhagavad Gita 8.24
Hindi Commentary By Swami Ramsukhdas ।।8.24।। व्याख्या--'अग्निर्ज्योतिरहः शुक्लः षण्मासा उत्तरायणम्'--इस भूमण्डलपर शुक्लमार्गमें सबसे पहले अग्निदेवताका अधिकार रहता है। अग्नि रात्रिमें प्रकाश …
Bhagavad Gita 8.23
Hindi Commentary By Swami Ramsukhdas ।।8.23।। व्याख्या --[जीवित अवस्थामें ही बन्धनसे छूटनेको 'सद्योमुक्ति' कहते हैं अर्थात् जिनको यहाँ ही भगवत्प्राप्ति हो गयी, भगवान्में अनन्यभक्ति हो गयी, …
Bhagavad Gita 8.22
Hindi Commentary By Swami Ramsukhdas ।।8.22।। व्याख्या--'यस्यान्तःस्थानि भूतानि येन सर्वमिदं ततम्'--सातवें अध्यायके बारहवें श्लोकमें भगवान्ने निषेधरूपसे कहा कि सात्त्विक, राजस और तामस भाव …
Bhagavad Gita 8.21
Hindi Commentary By Swami Ramsukhdas ।।8.21।। व्याख्या--'अव्यक्तोऽक्षर ৷৷. तद्धाम परमं मम'--भगवान्ने सातवें अध्यायके अट्ठाईसवें, उन्तीसवें और तीसवें श्लोकमें जिसको 'माम्', कहा है तथा …
Bhagavad Gita 8.20
Hindi Commentary By Swami Ramsukhdas ।।8.20।। व्याख्या--'परस्तस्मात्तु भावोऽन्योऽव्यक्तोऽव्यक्तात्सनातनः'-- सोलहवेंसे उन्नीसवें श्लोकतक ब्रह्मलोक तथा उससे नीचेके लोकोंको पुनरावर्ती कहा …
Bhagavad Gita 8.19
Hindi Commentary By Swami Ramsukhdas ।।8.19।। व्याख्या --'भूतग्रामः स एवायम्'--अनादिकालसे जन्म-मरणके चक्करमें पड़ा हुआ यह प्राणिसमुदाय वही है, जो कि साक्षात् मेरा अंश, मेरा स्वरूप है। मेरा …
Bhagavad Gita 8.18
Hindi Commentary By Swami Ramsukhdas ।।8.18।। व्याख्या--'अव्यक्ताद्व्यक्तयः ৷৷. तत्रैवाव्यक्तसंज्ञके'--मात्र प्राणियोंके जितने शरीर हैं, उनको यहाँ 'व्यक्तयः'और चौदहवें अध्यायके चौथे …
Bhagavad Gita 8.16
Hindi Commentary By Swami Ramsukhdas ।।8.16।। व्याख्या--(टिप्पणी प0 467.2) 'आब्रह्मभुवनाल्लोकाः पुनरावर्तिनोऽर्जुन'--हे अर्जुन ! ब्रह्माजीके लोकको लेकर सभी लोक पुनरावर्ती हैं, …
Bhagavad Gita 8.15
Hindi Commentary By Swami Ramsukhdas ।।8.15।। व्याख्या--'मामुपेत्य पुनर्जन्म ৷৷. संसिद्धिं परमां गताः'--'मामुपेत्य' का तात्पर्य है कि भगवान्के दर्शन कर ले, भगवान्को तत्त्वसे जान ले अथवा …