Hindi Commentary By Swami Ramsukhdas ।।10.5।। व्याख्या--'बुद्धिः'--उद्देश्यको लेकर निश्चय करनेवाली वृत्तिका नाम बुद्धि है।'ज्ञानम्'--सार-असार, ग्राह्य-अग्राह्य, नित्य-अनित्य, सत्-असत्, …
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Bhagavad Gita 10.4
Hindi Commentary By Swami Ramsukhdas ।।10.4।। व्याख्या--'बुद्धिः'--उद्देश्यको लेकर निश्चय करनेवाली वृत्तिका नाम बुद्धि है।'ज्ञानम्' -- सार-असार, ग्राह्य-अग्राह्य, नित्य-अनित्य, सत्-असत्, …
Bhgavad Gita 10.3
Hindi Commentary By Swami Ramsukhdas ।।10.3।। व्याख्या --'यो मामजमनादिं च वेत्ति लोकमहेश्वरम्'-- पीछेके श्लोकमें भगवान्के प्रकट होनेको जाननेका विषय नहीं बताया है। इस विषयको तो मनुष्य भी …
Bhagavad Gita 10.2
Hindi Commentary By Swami Ramsukhdas ।।10.2।। व्याख्या --न मे विदुः सुरगणाः प्रभवं न महर्षयः--यद्यपि देवताओंके शरीर, बुद्धि, लोक, सामग्री आदि सब दिव्य हैं, तथापि वे मेरे प्रकट होनेको नहीं …
Bhagavad Gita 10.1
Hindi Commentary By Swami Ramsukhdas ।।10.1।। व्याख्या--'भूयः एव'--भगवान्की विभूतियोंको तत्त्वसे जाननेपर भगवान्में भक्ति होती है, प्रेम होता है। इसलिये कृपावश होकर भगवान्ने सातवें अध्यायमें …
The Secret Summary
The Secret is a 2006 self-help book by Rhonda Byrne, based on the earlier film of the same name. The book is based on the belief of the law of attraction, which claims that thoughts can change a …
Man’s Search For Meaning Summary
Man's Search for Meaning is a 1946 book by Viktor E. Frankl chronicling his experiences as a prisoner in Nazi concentration camps during World War II, and describing his psychotherapeutic method, …
Bhagavad Gita, Chapter 10
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How To Win Friends And Influence People Summary
Here is a summary of How to Win Friends and Influence People by Dale Carnegie: How to Win Friends and Influence People is a classic self-help book that has helped millions of people to improve …
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Bhagavad Gita 9.34
Hindi Commentary By Swami Ramsukhdas ।।9.34।। व्याख्या --[अपने हृदयकी बात वहीं कही जाती है, जहाँ सुननेवालेमें कहनेवालेके प्रति दोषदृष्टि न हो, प्रत्युत आदरभाव हो। अर्जुन दोषदृष्टिसे रहित हैं, …
Bhagavad Gita 9.33
Hindi Commentary By Swami Ramsukhdas ।।9.33।। व्याख्या--'किं पुनर्ब्राह्मणाः पुण्या भक्ता (टिप्पणी प0 528) राजर्षय स्तथा'-- जब वर्तमानमें पाप करनेवाला साङ्गोपाङ्ग दुराचारी और …
Bhagavad Gita 9.32
Hindi Commentary By Swami Ramsukhdas ।।9.32।। व्याख्या--'मां हि पार्थ व्यपाश्रित्य ৷৷. यान्ति परां गतिम्'-- जिनके इस जन्ममें आचरण खराब हैं अर्थात् जो इस जन्मका पापी है, उसको भगवान्ने …
Bhagavad Gita 9.31
Hindi Commentary By Swami Ramsukhdas ।।9.31।। व्याख्या --'क्षिप्रं भवति धर्मात्मा'-- वह तत्काल धर्मात्मा हो जाता है अर्थात् महान् पवित्र हो जाता है। कारण कि यह जीव स्वयं परमात्माका अंश है …