Hindi Commentary By Swami Ramsukhdas ।।11.47।। व्याख्या --'मया प्रसन्नेन तवार्जुनेदं रूपं दर्शितम्'--हे अर्जुन ! तू बार-बार यह कह रहा है कि आप प्रसन्न हो जाओ (11। 25? 31? 45), तो प्यारे भैया ! …
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Bhagavad Gita 11.46
Hindi Commentary By Swami Ramsukhdas ।।11.46।। व्याख्या--'किरीटनं गदिनं चक्रहस्तमिच्छामि त्वां द्रष्टुमहं तथैव--जिसमें आपने सिरपर दिव्य मुकुट तथा हाथोंमें गदा और चक्र धारण कर रखे हैं, उसी …
Bhagavad Gita 11.45
Hindi Commentary By Swami Ramsukhdas ।।11.45।। व्याख्या--[जैसे विराट्रूप दिखानेके लिये मैंने भगवान्से प्रार्थना की तो भगवान्ने मुझे विराट्रूप दिखा दिया, ऐसे ही देवरूप दिखानेके लिये प्रार्थना …
Bhagavad Gita 11.44
Hindi Commentary By Swami Ramsukhdas ।।11.44।। व्याख्या--'तस्मात्प्रणम्य प्रणिधाय कायं प्रसादये त्वामहमीषमीड्यम्'--आप अनन्त ब्रह्माण्डोंके ईश्वर हैं। इसलिये सबके द्वारा स्तुति करनेयोग्य आप ही …
Bhagavad Gita 11.43
Hindi Commentary By Swami Ramsukhdas ।।11.43।। व्याख्या--'पितासी लोकस्य चराचरस्य'--अनन्त ब्रह्माण्डोंमें मनुष्य, शरीर, पशु, पक्षी आदि जितने जङ्गम प्राणी हैं, और वृक्ष, लता आदि जितने स्थावर …
Bhagavad Gita 11.42
Hindi Commentary By Swami Ramsukhdas ।।11.42।। व्याख्या--[जब अर्जुन विराट् भगवान्के अत्युग्र रूपको देखकर भयभीत होते हैं, तब वे भगवान्के कृष्णरूपको भूल जाते हैं और पूछ बैठते हैं कि उग्ररूपवाले …
Bhagavad Gita 11.41
Hindi Commentary By Swami Ramsukhdas ।।11.41।। व्याख्या--[जब अर्जुन विराट् भगवान्के अत्युग्र रूपको देखकर भयभीत होते हैं, तब वे भगवान्के कृष्णरूपको भूल जाते हैं और पूछ बैठते हैं कि उग्ररूपवाले …
Bhagavad Gita 11.40
Hindi Commentary By Swami Ramsukhdas ।।11.40।। व्याख्या--'नमः पुरस्तादथ पृष्ठतस्ते नमोऽस्तु ते सर्वत एव सर्व'--अर्जुन भयभीत हैं। मैं क्या बोलूँ-- यह उनकी समझमें नहीं आ रहा है। इसलिये वे आगेसे, …
Bhagavad Gita 11.39
Hindi Commentary By Swami Ramsukhdas ।।11.39।। व्याख्या--वायुः--जिससे सबको प्राण मिल रहे हैं, मात्र प्राणी जी रहे हैं, सबको सामर्थ्य मिल रही है, वह वायु आप ही हैं। 'यमः'--जो संयमनीपुरीके …
Bhagavad Gita 11.38
Hindi Commentary By Swami Ramsukhdas ।।11.38।। व्याख्या--'त्वमादिदेवः पुरुषः पुराणः'-- आप सम्पूर्ण देवताओंके आदिदेव हैं; क्योंकि सबसे पहले आप ही प्रकट होते हैं। आप पुराणपुरुष हैं; क्योंकि …
Bhagavad Gita 11.37
Hindi Commentary By Swami Ramsukhdas ।।11.37।। व्याख्या--'कस्माच्च ते न नमेरन्महात्मन् गरीयसे ब्रह्मणोऽप्यादिकर्त्रे'--आदिरूपसे प्रकट होनेवाले महान् स्वरूप आपको (पूर्वोक्त सिद्धगण) नमस्कार …
Bhagavad Gita 11.36
Hindi Commentary By Swami Ramsukhdas ।।11.36।। व्याख्या--[संसारमें यह देखा जाता है कि जो व्यक्ति अत्यन्त भयभीत हो जाता है, उससे बोला नहीं जाता। अर्जुन भगवान्का अत्युग्र रूप देखकर अत्यन्त भयभीत …
Bhagavad Gita 11.35
Hindi Commentary By Swami Ramsukhdas ।।11.35।। व्याख्या--'एतच्छ्रुत्वा वचनं केशवस्य कृताञ्जलिर्वेपमानः किरीटी'-- अर्जुन तो पहलेसे भयभीत थे ही, फिर भगवान्ने मैं काल हूँ, सबको खा जाऊँगा -- …
Bhagavad Gita 11.34
Hindi Commentary By Swami Ramsukhdas ।।11.34।। व्याख्या--'द्रोणं च भीष्मं च जयद्रथं च कर्णं तथान्यानपि योधवीरान् मया हतांस्त्वं जहि'--तुम्हारी दृष्टिमें गुरु द्रोणाचार्य, पितामह भीष्म, जयद्रथ …
Bhagavad Gita 11.33
Hindi Commentary By Swami Ramsukhdas ।।11.33।। व्याख्या--'तस्मात्त्वमुत्तिष्ठ यशो लभस्व'--हे अर्जुन ! जब तुमने यह देख ही लिया कि तुम्हारे मारे बिना भी ये प्रतिपक्षी बचेंगे नहीं, तो तुम कमर …