Hindi Commentary By Swami Ramsukhdas ।।13.7।। व्याख्या -- इच्छा -- अमुक वस्तु? व्यक्ति? परिस्थिति आदि मिले -- ऐसी जो मनमें चाहना रहती है? उसको इच्छा कहते हैं। क्षेत्रके …
Main Content
Bhagavad Gita 13.6
Hindi Commentary By Swami Ramsukhdas ।।13.6।। व्याख्या -- अव्यक्तमेव च -- अव्यक्त नाम मूल प्रकृतिका है। मूल प्रकृति समष्टि बुद्धिका कारण होनेसे और स्वयं किसीका भी कार्य न …
Bhagavad Gita 13.5
Hindi Commentary By Swami Ramsukhdas ।।13.5।। व्याख्या -- ऋषिभिर्बहुधा गीतम् -- वैदिक मन्त्रोंके द्रष्टा तथा शास्त्रों? स्मृतियों और पुराणोंके रचयिता ऋषियोंने अपनेअपने …
Bhagavad Gita 13.4
Hindi Commentary By Swami Ramsukhdas ।।13.4।। व्याख्या -- तत्क्षेत्रम् -- तत् शब्द दोका वाचक होता है -- पहले कहे हुए विषयका और दूरीका। इसी अध्यायके पहले श्लोकमें …
Bhagavad Gita 13.2
Hindi Commentary By Swami Ramsukhdas ।।13.2।। व्याख्या -- इदं शरीरं कौन्तेय क्षेत्रमित्यभिधीयते -- मनुष्य यह पशु है? यह पक्षी है? यह वृक्ष है आदिआदि भौतिक चीजोंको इदंतासे …
Bhagavad Gita 13.1
The Dip by Seth Godin Summary
The Dip: A Little Book That Teaches You When to Quit (and When to Stick) by Seth Godin is a business book that teaches readers how to identify and overcome the "dip" in any endeavor. The dip is the …
Bhagavad Gita, Chapter 13
Ranka and Banka
पण्ढरपुरमें लक्ष्मीदत्त नामके एक ऋग्वेदी ब्राह्मण रहते थे। ये संतोंकी बड़े प्रेमसे सेवा किया करते थे। एक बार इनके यहाँ साक्षात् नारायण संतरूपसे पधारे और आशीर्वाद दे गये कि तुम्हारे यहाँ एक परम विरक्त …
Visoba Saraf
पण्ढरपुरसे पचास कोसपर औंढ़िया नागनाथ एक प्रसिद्ध शिवक्षेत्र है। यहींपर यजुर्वेदी ब्राह्मणकुलमें विसोबाका जन्म हुआ था। सराफीका काम करनेके कारण ये सराफ कहे जाते थे। विसोबाके घरमें साध्वी पत्नी और चार …
Bhagavad Gita 12.20
Hindi Commentary By Swami Ramsukhdas ।।12.20।। व्याख्या -- ये तु -- यहाँ ये पदसे भगवान्ने उन साधक भक्तोंका संकेत किया है? जिनके विषयमें अर्जुनने पहले श्लोकमें …
Bhagavad Gita 12.19
Hindi Commentary By Swami Ramsukhdas ।।12.19।। व्याख्या--'समः शत्रौ च मित्रे च'--यहाँ भगवान्ने भक्तमें व्यक्तियोंके प्रति होनेवाली समताका वर्णन किया है। सर्वत्र भगवद्बुद्धि होने तथा …
Bhagavad Gita 12.18
Hindi Commentary By Swami Ramsukhdas ।।12.18।। व्याख्या -- समः शत्रौ च मित्रे च -- यहाँ भगवान्ने भक्तमें व्यक्तियोंके प्रति होनेवाली समताका वर्णन किया है। सर्वत्र …
Bhagavad Gita 12.17
Hindi Commentary By Swami Ramsukhdas ।।12.17।। व्याख्या--'यो न हृष्यति न द्वेष्टि न शोचति न काङ्क्षति'--मुख्य विकार चार हैं -- (1) राग, (2) द्वेष, (3) हर्ष और (4) शोक (टिप्पणी …
Bhagavad Gita 12.16
Hindi Commentary By Swami Ramsukhdas ।।12.16।। व्याख्या--'अनपेक्षः'--भक्त भगवान्को ही सर्वश्रेष्ठ मानता है। उसकी दृष्टिमें भगवत्प्राप्तिसे बढ़कर दूसरा कोई लाभ नहीं होता। अतः संसारकी किसी भी …