Hindi Commentary By Swami Ramsukhdas ।।13.21।। व्याख्या -- [इसी अध्यायके तीसरे श्लोकमें भगवान्ने क्षेत्रके विषयमें यच्च (जो है)? यादृक् च (जैसा …
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Bhagavad Gita 13.20
Hindi Commentary By Swami Ramsukhdas ।।13.20।। व्याख्या -- [इसी अध्यायके तीसरे श्लोकमें भगवान्ने क्षेत्रके विषयमें यच्च (जो है)? यादृक् च (जैसा …
Bhagavad Gita 13.19
Hindi Commentary By Swami Ramsukhdas ।।13.19।। व्याख्या -- इति क्षेत्रं तथा ज्ञानं ज्ञेयं चोक्तं समासतः -- इसी अध्यायके पाँचवें और छठे श्लोकमें जिसका वर्णन किया गया है? …
Bhagavad Gita 13.18
Hindi Commentary By Swami Ramsukhdas ।।13.18।। व्याख्या -- ज्योतिषामपि तज्ज्योतिः -- ज्योति नाम प्रकाश(ज्ञान) का है अर्थात् जिनसे प्रकाश मिलता है? ज्ञान होता है? वे सभी …
Bhagavad Gita 13.17
Hindi Commentary By Swami Ramsukhdas ।।13.17।। व्याख्या -- अविभक्तं च भूतेषु विभक्तमिव च स्थितम् -- इस त्रिलोकीमें देखने? सुनने और समझनेमें जितने भी स्थावरजङ्गम प्राणी …
Bhagavad Gita 13.16
Hindi Commentary By Swami Ramsukhdas ।।13.16।। व्याख्या -- [ज्ञेय तत्त्वका वर्णन बारहवेंसे सत्रहवें श्लोकतक -- कुल छः श्लोकोंमें हुआ है। उनमेंसे यह पन्द्रहवाँ श्लोक चौथा है। इस …
Bhagavad Gita 13.15
Hindi Commentary By Swami Ramsukhdas ।।13.15।। व्याख्या -- सर्वेन्द्रियगुणाभासं सर्वेन्द्रियविवर्जितम् -- पहले परमात्मा हैं? फिर परमात्माकी शक्ति प्रकृति है। प्रकृतिका …
Bhagavad Gita 13.14
Hindi Commentary By Swami Ramsukhdas ।।13.14।। व्याख्या -- सर्वतः पाणिपादं तत् -- जैसे स्याहीमें सब जगह सब तरहकी लिपियाँ विद्यमान हैं अतः लेखक स्याहीसे सब तरहकी लिपियाँ …
Bhagavad Gita 13.13
Hindi Commentary By Swami Ramsukhdas ।।13.13।। व्याख्या -- ज्ञेयं यत्तत्प्रवक्ष्यामि -- भगवान् यहाँ ज्ञेय तत्त्वके वर्णनका उपक्रम करते हुए प्रतिज्ञा …
Bhagavad Gita 13.12
Hindi Commentary By Swami Ramsukhdas ।।13.12।। व्याख्या -- अध्यात्मज्ञाननित्यत्वम् -- सम्पूर्ण शास्त्रोंका तात्पर्य मनुष्यको परमात्माकी तरफ लगानेमें? परमात्मप्राप्ति …
Bhgavad Gita 13.11
Hindi Commentary By Swami Ramsukhdas ।।13.11।। व्याख्या -- मयि चानन्ययोगेन भक्तिरव्यभिचारिणी -- संसारका आश्रय लेनेके कारण साधकका देहाभिमान बना रहता है। यह देहाभिमान …
Bhagavad Gita 13.10
Hindi Commentary By Swami Ramsukhdas ।।13.10।। व्याख्या -- असक्तिः -- उत्पन्न होनेवाली (सांसारिक) वस्तु? व्यक्ति? घटना? परिस्थिति आदिमें जो प्रियता है? उसको सक्ति कहते …
Bhagvad Gita 13.9
Hindi Commentary By Swami Ramsukhdas ।।13.9।। व्याख्या -- इन्द्रियार्थेषु वैराग्यम् -- लोकपरलोकके शब्दादि समस्त विषयोंमें इन्द्रियोंका खिंचाव न होना ही इन्द्रियोंके …
Big Magic Summary
Big Magic is a book about creativity, and how to overcome the fear and self-doubt that can hold us back from pursuing our creative dreams. Gilbert argues that creativity is a natural part of who we …
Bhagavad Gita 13.8
Hindi Commentary By Swami Ramsukhdas ।।13.8।। व्याख्या -- अमानित्वम् -- अपनेमें मानीपनके अभावका नाम अमानित्व है। वर्ण? आश्रम? योग्यता? विद्या? गुण? पद आदिको लेकर अपनेमें …