Hindi Commentary By Swami Ramsukhdas ।।16.8।। व्याख्या -- असत्यम् -- आसुर स्वभाववाले पुरुष कहा करते हैं कि यह जगत् असत्य है अर्थात् इसमें कोई भी बात सत्य नहीं है। जितने …
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Bhagavad Gita 16.7
Hindi Commentary By Swami Ramsukhdas ।।16.7।। व्याख्या -- प्रवृत्तिं च निवृत्तिं च जना न विदुरासुराः -- आजकलके उच्छृङ्खल वातावरण? खानपान? शिक्षा आदिके प्रभावसे प्रायः …
Bhagavad Gita 3.14 and 3.15
अन्नाद्भवन्ति भूतानि पर्जन्यादन्नसम्भवः ।यज्ञाद्भवति पर्जन्यो यज्ञः कर्मसमुद्भवः ॥14॥कर्म ब्रह्मोद्भवं विद्धि ब्रह्माक्षरसमुद्भवम् ।तस्मात्सर्वगतं ब्रह्म नित्यं यज्ञे प्रतिष्ठितम् …
Bhagavad Gita 16.6
Hindi Commentary By Swami Ramsukhdas ।।16.6।। व्याख्या -- द्वौ भूतसर्गौ लोकेऽस्मिन्दैव आसुर एव च -- आसुरीसम्पत्तिका विस्तारपूर्वक वर्णन करनेके लिये उसका उपक्रम करते हुए …
Bhagavad Gita 3.35 – Śhreyān Swa-dharmo
श्रेयान्स्वधर्मो विगुणः परधर्मात्स्वनुष्ठितात् ।स्वधर्मे निधनं श्रेयः परधर्मो भयावहः ॥35॥ śreyānsvadharmo viguṇaḥ paradharmātsvanuṣṭhitātsvadharme nidhanaṃ śreyaḥ paradharmo bhayāvahaḥ Better …
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Bhagavad Gita 16.5
Hindi Commentary By Swami Ramsukhdas 16.5।।व्याख्या--'दैवी सम्पद्विमोक्षाय'--मेरेको भगवान्की तरफ ही चलना है -- यह भाव साधकमें जितना स्पष्टरूपसे आ जाता है, उतना ही वह भगवान्के सम्मुख हो जाता है। …
Bhagavad Gita 16.4
Hindi Commentary By Swami Ramsukhdas ।।16.4।। व्याख्या -- दम्भः -- मान? बड़ाई? पूजा? ख्याति आदि प्राप्त करनेके लिये? अपनी वैसी स्थिति न होनेपर भी वैसी स्थिति दिखानेका नाम …
Bhagavad Gita 3.30 – Mayi Sarvāṇi Karmāṇi
मयि सर्वाणि कर्माणि संन्यस्याध्यात्मचेतसा ।निराशीर्निर्ममो भूत्वा युध्यस्व विगतज्वरः ॥30॥ mayi sarvāṇi karmāṇi saṃnyasyādhyātmacetasānirāśīrnirmamo bhūtvā yudhyasva vigatajvaraḥ Renouncing all …
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Bhagavad Gita 16.3
Hindi Commentary By Swami Ramsukhdas ।।16.3।। व्याख्या--'तेजः'--महापुरुषोंका सङ्ग मिलनेपर उनके प्रभावसे प्रभावित होकर साधारण पुरुष भी दुर्गुण-दुराचारोंका त्याग करके सद्गुण-सदाचारोंमें लग जाते …
Bhagavad Gita 3.38 – Dhūmenāvriyate
धूमेनाव्रियते वह्निर्यथादर्शो मलेन च ।यथोल्बेनावृतो गर्भस्तथा तेनेदमावृतम् ॥38॥ dhūmenāvriyate vahniryathādarśo malena cayatholbenāvṛto garbhastathā tenedamāvṛtam dhūmena = by …
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Bhagavad Gita 16.2
Hindi Commentary By Swami Ramsukhdas ।।16.2।। व्याख्या--'अहिंसा'--शरीर, मन, वाणी, भाव आदिके द्वारा किसीका भी किसी प्रकारसे अनिष्ट न करनेको तथा अनिष्ट न चाहनेको 'अहिंसा' कहते हैं। वास्तवमें …
Bhagavad Gita 16.1
Hindi Commentary By Swami Ramsukhdas ।।16.1।। व्याख्या--[पंद्रहवें अध्यायके उन्नीसवें श्लोकमें भगवान्ने कहा कि 'जो मुझे पुरुषोत्तम जान लेता है, वह सब प्रकारसे मेरा ही भजन करता है अर्थात् वह …
Bhagavad Gita 3.34 – Indriyasyendriyasyārthe
इन्द्रियस्येन्द्रियस्यार्थे रागद्वेषौ व्यवस्थितौ ।तयोर्न वशमागच्छेत्तौ ह्यस्य परिपन्थिनौ ॥34॥ indriyasyendriyasyārthe rāgadveṣau vyavasthitaunabhaśca pṛthivīṃ caiva …
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Bhagavad Gita 3.8 – Niyataṁ Kuru
नियतं कुरु कर्म त्वं कर्म ज्यायो ह्यकर्मणः ।शरीरयात्रापि च ते न प्रसिद्ध्येदकर्मणः ॥8॥ niyataṃ kuru karma tvaṃ karma jyāyo hyakarmaṇaḥśarīrayātrāpi ca te na prasiddhyedakarmaṇaḥ niyataṃ = …