दक्षिणके देहूग्राममें संवत् १६६५ में तुकारामजीका जन्म हुआ था। इनके पिताका नाम बोलोजी और माताका नाम कनकाबाई था। तेरह वर्षकी अवस्थामें पिताने इनका विवाह कर दिया, किंतु इनकी पत्नी रखुमाईको दमेकी बीमारी …
Chokhamela
चोखा मेळा महार जातिके थे। मंगलवेढ़ा नामक स्थानमें रहते थे। बस्तीसे मरे हुए जानवर उठा ले जाना ही इनका धंधा था। बचपनसे ही ये बड़े सरल और धर्मभीरु थे। श्रीविठ्ठलजीके दर्शनोंके लिये बीच-बीचमें ये पण्ढरपुर …
Gora Kumbhar
श्रीज्ञानेश्वरकालीन संतोंमें वयस्में सबसे बड़े गोराजी कुम्हार थे। इनका जन्म तेरढोकी स्थानमें संवत् १३२४ में हुआ। इन्हें सब लोग 'चाचा' कहा करते थे। ये बड़े विरक्त, दृढ़ निश्चयी और ज्ञानी भक्त थे। इनकी …
Samarth Ramdas
श्रीसूर्याजी पन्तकी पत्नी श्रीरेणुका बाईके गर्भसे चैत्र शुक्ल नवमी संवत् १६६५ को ठीक श्रीराम जन्मके समय जो तेजोमय बालक हुआ, वही आगे जाकर समर्थ स्वामी रामदासके नामसे प्रख्यात हुआ। आठ वर्षकी …
Sant Eknath
पैठणमें संवत् १५९०के लगभग श्रीएकनाथजीका जन्म हुआ था। इनके पिता श्रीसूर्यनारायणजी और माता श्रीरुक्मिणीजी थीं। जन्मके कुछ काल बाद ही माता-पिताका देहान्त हो जानेके कारण इनका पालन-पोषण इनके पितामह …
Sant Jnaneshwar
श्रीविठ्ठल पन्तके तीन पुत्र और एक कन्या थी। उनके नाम थे निवृत्तिनाथ, ज्ञानेश्वर, सोपानदेव और मुक्ताबाई। श्रीविठ्ठल पन्तने अपने गुरु स्वामी श्रीरामानन्दजीकी आज्ञासे संन्यास लेनेके बाद पुनः गृहस्थधर्म …