Hindi Commentary By Swami Ramsukhdas ।।8.22।। व्याख्या--'यस्यान्तःस्थानि भूतानि येन सर्वमिदं ततम्'--सातवें अध्यायके बारहवें श्लोकमें भगवान्ने निषेधरूपसे कहा कि सात्त्विक, राजस और तामस भाव …
Bhagavad Gita 8.21
Hindi Commentary By Swami Ramsukhdas ।।8.21।। व्याख्या--'अव्यक्तोऽक्षर ৷৷. तद्धाम परमं मम'--भगवान्ने सातवें अध्यायके अट्ठाईसवें, उन्तीसवें और तीसवें श्लोकमें जिसको 'माम्', कहा है तथा …
Bhagavad Gita 8.20
Hindi Commentary By Swami Ramsukhdas ।।8.20।। व्याख्या--'परस्तस्मात्तु भावोऽन्योऽव्यक्तोऽव्यक्तात्सनातनः'-- सोलहवेंसे उन्नीसवें श्लोकतक ब्रह्मलोक तथा उससे नीचेके लोकोंको पुनरावर्ती कहा …
Bhagavad Gita 8.19
Hindi Commentary By Swami Ramsukhdas ।।8.19।। व्याख्या --'भूतग्रामः स एवायम्'--अनादिकालसे जन्म-मरणके चक्करमें पड़ा हुआ यह प्राणिसमुदाय वही है, जो कि साक्षात् मेरा अंश, मेरा स्वरूप है। मेरा …
Bhagavad Gita 8.18
Hindi Commentary By Swami Ramsukhdas ।।8.18।। व्याख्या--'अव्यक्ताद्व्यक्तयः ৷৷. तत्रैवाव्यक्तसंज्ञके'--मात्र प्राणियोंके जितने शरीर हैं, उनको यहाँ 'व्यक्तयः'और चौदहवें अध्यायके चौथे …
Bhagavad Gita 8.16
Hindi Commentary By Swami Ramsukhdas ।।8.16।। व्याख्या--(टिप्पणी प0 467.2) 'आब्रह्मभुवनाल्लोकाः पुनरावर्तिनोऽर्जुन'--हे अर्जुन ! ब्रह्माजीके लोकको लेकर सभी लोक पुनरावर्ती हैं, …