Hindi Commentary By Swami Ramsukhdas ।।10.16।। व्याख्या--'याभिर्विभूतिभिर्लोकानिमांस्त्वं व्याप्य तिष्ठसि' -- भगवान्ने पहले (सातवें श्लोकमें) यह बात कही थी कि जो मनुष्य मेरी विभूतियोंको …
Bhagavad Gita 10.15
Hindi Commentary By Swami Ramsukhdas ।।10.15।। व्याख्या--'भूतभावन भूतेश देवदेव जगत्पते पुरुषोत्तम'--सम्पूर्ण प्राणियोंको संकल्पमात्रसे उत्पन्न करनेवाले होनेसे आप 'भूतभावन' हैं; सम्पूर्ण …
Bhagavad Gita 10.14
Hindi Commentary By Swami Ramsukhdas ।।10.14।। व्याख्या --'सर्वमेतदृतं मन्ये यन्मां वदसि केशव '-- क नाम ब्रह्माका है, 'अ' नाम विष्णुका है, 'ईश' नाम शंकरका है और 'व' नाम वपु अर्थात् …
Bhagavad Gita 10.13
Hindi Commentary By Swami Ramsukhdas ।।10.13।। व्याख्या --'परं ब्रह्म परं धाम पवित्रं परमं भवान्'-- अपने सामने बैठे हुए भगवान्की स्तुति करते हुए अर्जुन कहते हैं कि मेरे पूछनेपर जिसको आपने …
Bhagavad Gita 10.12
Hindi Commentary By Swami Ramsukhdas ।।10.12।। व्याख्या --'परं ब्रह्म परं धाम पवित्रं परमं भवान्'-- अपने सामने बैठे हुए भगवान्की स्तुति करते हुए अर्जुन कहते हैं कि मेरे पूछनेपर जिसको आपने …
Bhagvad Gita 10.11
Hindi Commentary By Swami Ramsukhdas ।।10.11।। व्याख्या--'तेषामेवानुकम्पार्थमहमज्ञानजं तमः'--उन भक्तोंके हृदयमें कुछ भी सांसारिक इच्छा नहीं, होती। इतना ही नहीं, उनके भीतर मुझे छोड़कर …