Hindi Commentary By Swami Ramsukhdas ।।10.42।। व्याख्या --'अथवा'--यह अव्यय-पद देकर भगवान् अर्जुनसे मानो यह कह रहे हैं कि तुमने जो प्रश्न किया था, उसके अनुसार मैंने उत्तर दिया ही है; अब मैं …
Bhagavad Gita 10.41
Hindi Commentary By Swami Ramsukhdas ।।10.41।। व्याख्या--'यद्यद्विभूतिमत्सत्त्वं श्रीमदूर्जितमेव वा'--संसारमात्रमें जिस-किसी सजी-वनिर्जीव वस्तु, व्यक्ति, घटना, परिस्थिति, गुण, भाव, क्रिया …
Bhagavad Gita 10.40
Hindi Commentary By Swami Ramsukhdas ।।10.40।। व्याख्या--'मम दिव्यानां (टिप्पणी प0 568.2) विभूतीनाम्'--'दिव्य' शब्द अलौकिकता, विलक्षणताका द्योतक है। साधकका मन जहाँ चला जाय, वहीं भगवान्का …
Bhagavad Gita 10.39
Hindi Commentary By Swami Ramsukhdas ।।10.39।। व्याख्या--'यच्चापि सर्वभूतानां बीजं तदमहर्जुन'--यहाँ भगवान् समस्त विभूतियोंका सार बताते हैं कि सबका बीज अर्थात् कारण मैं ही हूँ। बीज कहनेका …
Bhagavad Gita 10.38
Hindi Commentary By Swami Ramsukhdas ।।10.38।। व्याख्या--'दण्डो दमयतामस्मि'--दुष्टोंको दुष्टतासे बचाकर सन्मार्गपर लानेके लिये दण्डनीति मुख्य है। इसलिये भगवान्ने इसको अपनी विभूति बताया …
Bhagavad Gita 10.37
Hindi Commentary By Swami Ramsukhdas ।।10.37।। व्याख्या--'वृष्णीनां वासुदेवोऽस्मि--यहाँ भगवान् श्रीकृष्णके अवतारका वर्णन नहीं है, प्रत्युत वृष्णिवंशियोंमें अपनी जो विशेषता है, उस विशेषताको …