Hindi Commentary By Swami Ramsukhdas ।।11.39।। व्याख्या--वायुः--जिससे सबको प्राण मिल रहे हैं, मात्र प्राणी जी रहे हैं, सबको सामर्थ्य मिल रही है, वह वायु आप ही हैं। 'यमः'--जो संयमनीपुरीके …
Bhagavad Gita 11.38
Hindi Commentary By Swami Ramsukhdas ।।11.38।। व्याख्या--'त्वमादिदेवः पुरुषः पुराणः'-- आप सम्पूर्ण देवताओंके आदिदेव हैं; क्योंकि सबसे पहले आप ही प्रकट होते हैं। आप पुराणपुरुष हैं; क्योंकि …
Bhagavad Gita 11.37
Hindi Commentary By Swami Ramsukhdas ।।11.37।। व्याख्या--'कस्माच्च ते न नमेरन्महात्मन् गरीयसे ब्रह्मणोऽप्यादिकर्त्रे'--आदिरूपसे प्रकट होनेवाले महान् स्वरूप आपको (पूर्वोक्त सिद्धगण) नमस्कार …
Bhagavad Gita 11.36
Hindi Commentary By Swami Ramsukhdas ।।11.36।। व्याख्या--[संसारमें यह देखा जाता है कि जो व्यक्ति अत्यन्त भयभीत हो जाता है, उससे बोला नहीं जाता। अर्जुन भगवान्का अत्युग्र रूप देखकर अत्यन्त भयभीत …
Bhagavad Gita 11.35
Hindi Commentary By Swami Ramsukhdas ।।11.35।। व्याख्या--'एतच्छ्रुत्वा वचनं केशवस्य कृताञ्जलिर्वेपमानः किरीटी'-- अर्जुन तो पहलेसे भयभीत थे ही, फिर भगवान्ने मैं काल हूँ, सबको खा जाऊँगा -- …
Bhagavad Gita 11.34
Hindi Commentary By Swami Ramsukhdas ।।11.34।। व्याख्या--'द्रोणं च भीष्मं च जयद्रथं च कर्णं तथान्यानपि योधवीरान् मया हतांस्त्वं जहि'--तुम्हारी दृष्टिमें गुरु द्रोणाचार्य, पितामह भीष्म, जयद्रथ …