Hindi Commentary By Swami Ramsukhdas ।।13.6।। व्याख्या -- अव्यक्तमेव च -- अव्यक्त नाम मूल प्रकृतिका है। मूल प्रकृति समष्टि बुद्धिका कारण होनेसे और स्वयं किसीका भी कार्य न …
Bhagavad Gita 13.5
Hindi Commentary By Swami Ramsukhdas ।।13.5।। व्याख्या -- ऋषिभिर्बहुधा गीतम् -- वैदिक मन्त्रोंके द्रष्टा तथा शास्त्रों? स्मृतियों और पुराणोंके रचयिता ऋषियोंने अपनेअपने …
Bhagavad Gita 13.4
Hindi Commentary By Swami Ramsukhdas ।।13.4।। व्याख्या -- तत्क्षेत्रम् -- तत् शब्द दोका वाचक होता है -- पहले कहे हुए विषयका और दूरीका। इसी अध्यायके पहले श्लोकमें …
Bhagavad Gita 13.2
Hindi Commentary By Swami Ramsukhdas ।।13.2।। व्याख्या -- इदं शरीरं कौन्तेय क्षेत्रमित्यभिधीयते -- मनुष्य यह पशु है? यह पक्षी है? यह वृक्ष है आदिआदि भौतिक चीजोंको इदंतासे …