Hindi Commentary By Swami Ramsukhdas ।।13.35।। व्याख्या -- [ज्ञानमार्ग विवेकसे ही आरम्भ होता है और वास्तविक विवेक(बोध) में ही समाप्त होता है। वास्तविक विवेक होनेपर प्रकृतिसे सर्वथा …
Bhagavad Gita 13.34
Hindi Commentary By Swami Ramsukhdas ।।13.34।। व्याख्या -- यथा प्रकाशयत्येकः कृत्स्नं लोकमिमं रविः -- नेत्रोंसे दीखनेवाले इस सम्पूर्ण संसारको? संसारके मात्र पदार्थोंको एक …
Bhagavad Gita 13.33
Hindi Commentary By Swami Ramsukhdas ।।13.33।। व्याख्या -- [पूर्वश्लोकमें भगवान्ने न करोति पदोंसे पहले कर्तृत्वका और फिर न लिप्यते पदोंसे भोक्तृत्वका अभाव बताया …
Bhagavad Gita 13.32
Hindi Commentary By Swami Ramsukhdas ।।13.32।। व्याख्या -- अनादित्वान्निर्गुणत्वात्परमात्मायमव्ययः -- इसी अध्यायके उन्नीसवें श्लोकमें जिसको अनादि कहा है? उसीको यहाँ …
Bhagavad Gita 13.31
Hindi Commentary By Swami Ramsukhdas ।।13.31।। व्याख्या -- [प्रकृतिके दो रूप हैं -- क्रिया और पदार्थ। क्रियासे सम्बन्धविच्छेद करनेके लिये उनतीसवाँ श्लोक कहा? अब पदार्थसे …
Bhagavad Gita 13.30
Hindi Commentary By Swami Ramsukhdas ।।13.30।। व्याख्या -- प्रकृत्यैव च कर्माणि क्रियमाणानि सर्वशः -- वास्तवमें चेतन तत्त्व स्वतःस्वाभाविक निर्विकार? सम और शान्तरूपसे …