Hindi Commentary By Swami Ramsukhdas ।।14.24।। व्याख्या -- धीरः? समदुःखसुखः -- नित्यअनित्य? सारअसार आदिके तत्त्वको जानकर स्वतःसिद्ध स्वरूपमें स्थित होनेसे गुणातीत मनुष्य …
Bhagavad Gita 14.23
Hindi Commentary By Swami Ramsukhdas ।।14.23।। व्याख्या -- उदासीनवदासीनः -- दो व्यक्ति परस्पर विवाद करते हों? तो उन दोनोंमेंसे किसी एकका पक्ष लेनेवाला पक्षपाती …
Bhagavad Gita 14.22
Hindi Commentary By Swami Ramsukhdas ।।14.22।। व्याख्या -- प्रकाशं च -- इन्द्रियों और अन्तःकरणकी स्वच्छता? निर्मलताका नाम प्रकाश है। तात्पर्य है कि जिससे इन्द्रियोंके …
Bhagavad Gita 14.21
Hindi Commentary By Swami Ramsukhdas ।।14.21।। व्याख्या -- कैर्लिङ्गैस्त्रीन्गुणानेतानतीतो भवति प्रभो -- हे प्रभो मैं यह जानना चाहता हूँ कि जो गुणोंका अतिक्रमण कर चुका …
Bhagavad Gita 14.19
Hindi Commentary By Swami Ramsukhdas ।।14.19।। व्याख्या -- नान्यं गुणेभ्यः ৷৷. मद्भावं सोऽधिगच्छति -- गुणोंके सिवाय अन्य कोई कर्ता है ही नहीं अर्थात् सम्पूर्ण क्रियाएँ …
Bhagavad Gita 14.18
Hindi Commentary By Swami Ramsukhdas ।।14.18।। व्याख्या -- ऊर्ध्वं गच्छन्ति सत्त्वस्थाः -- जिनके जीवनमें सत्त्वगुणकी प्रधानता रही है और उसके कारण जिन्होंने भोगोंसे संयम …