Hindi Commentary By Swami Ramsukhdas ।।18.62।। व्याख्या -- [मनुष्यमें प्रायः यह एक कमजोरी रहती है कि जब उसके सामने संतमहापुरुष विद्यमान रहते हैं? तब उसका उनपर श्रद्धाविश्वास एवं …
Bhagavad Gita 18.61
Hindi Commentary By Swami Ramsukhdas ।।18.61।। व्याख्या -- ईश्वरः सर्वभूतानां ৷৷. यन्त्रारूढानि मायया -- इसका तात्पर्य यह है कि जो ईश्वर सबका शासक? नियामक? सबका भरणपोषण …
Bhagavad Gita 18.60
Hindi Commentary By Swami Ramsukhdas ।।18.60।। व्याख्या -- स्वभावजेन कौन्तेय निबद्धः स्वेन कर्मणा -- पूर्वजन्ममें जैसे कर्म और गुणोंकी वृत्तियाँ रही हैं? इस जन्ममें जैसे …
Bhagavad Gita 18.59
Hindi Commentary By Swami Ramsukhdas ।।18.59।। व्याख्या -- यदहंकारमाश्रित्य -- प्रकृतिसे ही महत्तत्त्व और महत्तत्त्वसे अहंकार पैदा हुआ है। उस अहंकारका ही एक विकृत अंश है …
Bhagavad Gita 18.58
Hindi Commentary By Swami Ramsukhdas ।।18.58।। व्याख्या -- मच्चित्तः सर्वदुर्गाणि मत्प्रसादात्तरिष्यसि -- भगवान् कहते हैं कि मेरेमें चित्तवाला होनेसे तू मेरी कृपासे …
Bhagavad Gita 18.57
Hindi Commentary By Swami Ramsukhdas ।।18.57।। व्याख्या -- [इस श्लोकमें भगवान्ने चार बातें बतायी हैं --,(1) चेतसा सर्वकर्माणि मयि संन्यस्य -- सम्पूर्ण कर्मोंको चित्तसे मेरे …