Hindi Commentary By Swami Ramsukhdas ।।17.12।। व्याख्या -- अभिसन्धाय तु फलम् -- फल अर्थात् इष्टकी प्राप्ति और अनिष्टकी निवृत्तिकी कामना रखकर जो यज्ञ किया जाता है? वह राजस …
Bhagavad Gita 17.11
Hindi Commentary By Swami Ramsukhdas ।।17.11।। व्याख्या -- यष्टव्यमेवेति -- जब मनुष्यशरीर मिल गया और अपना कर्तव्य करनेका अधिकार भी प्राप्त हो गया? तो अपने वर्णआश्रममें …
Bhagavad Gita 17.10
Hindi Commentary By Swami Ramsukhdas ।।17.10।। व्याख्या -- यातयामम् -- पकनेके लिये जिनको पूरा समय प्राप्त नहीं हुआ है? ऐसे अधपके या उचित समयसे ज्यादा पके हुए अथवा जिनका …
Bhagavad Gita 17.9
Hindi Commentary By Swami Ramsukhdas ।।17.9।। व्याख्या -- कटु -- करेला? ग्वारपाठा आदि अधिक कड़वे पदार्थ अम्ल -- इमली? अमचूर? नींबू? छाछ? सड़न पैदा करके बनाया …
Bhagavad Gita 4.29 – Apāne Juhvati
अपाने जुह्वति प्राणं प्राणेऽपानं तथापरे ।प्राणापानगती रुद्ध्वा प्राणायामपरायणाः ॥29॥ apāne juhvati prāṇaṃ prāṇe’pānaṃ tathāpareprāṇāpānagatī ruddhvā prāṇāyāmaparāyaṇāḥ apāne = in the air …
Bhagavad Gita 17.8
Hindi Commentary By Swami Ramsukhdas ।।17.8।। व्याख्या -- आयुः -- जिन आहारोंके करनेसे मनुष्यकी आयु बढ़ती है सत्त्वम् -- सत्त्वगुण बढ़ता है बलम् …