Hindi Commentary By Swami Ramsukhdas 1.19।। व्याख्या --'स घोषो धार्तराष्ट्राणां ৷৷. तुमुलो व्यनुनादयन्'-- पाण्डव-सेनाकी वह शंखध्वनि इतनी विशाल, गहरी, ऊँची और भयंकर हुई कि उस …
Bhagavad Gita 1.18
Hindi Commentary By Swami Ramsukhdas ।।1.118।। व्याख्या--'काश्यश्च परमेष्वासः৷৷.शङ्खान् दध्मुः पृथक्पृथक्'--महारथी शिखण्डी बहुत शूरवीर था। यह पहले जन्ममें स्त्री (काशिराजकी कन्या अम्बा) था और …
Bhagavad Gita 1.17
Hindi Commentary By Swami Ramsukhdas ।।1.17।। व्याख्या--'काश्यश्च परमेष्वासः ৷৷. शङ्खान् दध्मुः पृथक्पृथक्'--महारथी शिखण्डी बहुत शूरवीर था। यह पहले जन्ममें स्त्री (काशिराजकी कन्या अम्बा) था और …
Bhagavad Gita 1.15
Hindi Commentary By Swami Ramsukhdas ।।1.15।। व्याख्या--'पाञ्चजन्यं हृषीकेशः'-- सबके अन्तर्यामी अर्थात् सबके भीतरकी बात जाननेवाले साक्षात् भगवान् श्रीकृष्णने पाण्डवोंके पक्षमें खड़े होकर …
Bhagavad Gita 1.14
Hindi Commentary By Swami Ramsukhdas ।।1.14।। व्याख्या--'ततः श्वेतैर्हयैर्युक्ते'-- चित्ररथ गन्धर्वने अर्जुनको सौ दिव्य घोड़े दिये थे। इन घोड़ोंमें यह विशेषता थी कि इनमेंसे युद्धमें कितने …
Bhagavad Gita 1.12
Hindi Commentary By Swami Ramsukhdas ।।1.12।। व्याख्या--'तस्य संजनयन् हर्षम्'-- यद्यपि दुर्योधनके हृदयमें हर्ष होना शंखध्वनिका कार्य है और शंखध्वनि कारण है, इसलिये यहाँ शंखध्वनिका वर्णन …