Hindi Commentary By Swami Ramsukhdas 1.46।। व्याख्या--'यदि माम् ৷৷. क्षेमतरं भवेत्'--अर्जुन करते हैं कि अगर मैं युद्धसे सर्वथा निवृत्त हो जाऊँगा, तो शायद ये दुर्योधन आदि भी युद्धसे …
Bhagavad Gita 1.16
Hindi Commentary By Swami Ramsukhdas ।।1.16।। व्याख्या--'अनन्तविजयं राजा ৷৷. सुघोषमणिपुष्पकौ'-- अर्जुन, भीम और युधिष्ठिर--ये तीनों कुन्तीके पुत्र हैं तथा नकुल और सहदेव--ये दोनों माद्रीके …
Bhagavad Gita 1.45
Hindi Commentary By Swami Ramsukhdas 1.45।। व्याख्या-- 'अहो बत ৷৷. स्वजनमुद्यताः'--ये दुर्योधन आदि दुष्ट हैं। इनकी धर्मपर दृष्टि नहीं है। इनपर लोभ सवार हो गया है। इसलिये ये …
Bhagavad Gita 1.44
Hindi Commentary By Swami Ramsukhdas 1.44।। व्याख्या--'उत्सन्नकुलधर्माणाम् ৷৷. अनुशुश्रुम'--(टिप्पणी प0 30) भगवान्ने मनुष्यको विवेक दिया है, नया कर्म करनेका अधिकार दिया है। अतः …
Bhagavad Gita 1.43
Hindi Commentary By Swami Ramsukhdas ।।1.43।। व्याख्या--'दोषैरेतैः कुलघ्नानाम् ৷৷. कुलधर्माश्च शाश्वताः'--युद्धमें कुलका क्षय होनेसे कुलके साथ चलते आये कुलधर्मोंका भी नाश हो जाता है। …
Bhagavad Gita 1.13
Hindi Commentary By Swami Ramsukhdas 1.13।। व्याख्या--'ततः शङ्खाश्च भेर्यश्च पणवानक-गोमुखाः'-- यद्यपि भीष्मजीने युद्धारम्भकी घोषणा करनेके लिये शंख नहीं बजाया था, प्रत्युत दुर्योधनको …