Hindi Commentary By Swami Ramsukhdas ।।7.4।। व्याख्या--'भूमिरापोऽनलो वायुः ৷৷. विद्धि मे पराम्'--परमात्मा सबके कारण हैं। वे प्रकृतिको लेकर सृष्टिकी रचना करते हैं(टिप्पणी प0 397.1)। जिस …
Bhagavad Gita 7.3
Hindi Commentary By Swami Ramsukhdas ।।7.3।। व्याख्या--'मनुष्याणां सहस्रेषु कश्चिद्यतति सिद्धये'--(टिप्पणी प0 395.1) 'हजारों मनुष्योंमें' कोई एक ही मेरी प्राप्तिके लिये यत्न करता है। …
Bhagavad Gita 7.2
Hindi Commentary By Swami Ramsukhdas ।।7.2।। व्याख्या--'ज्ञानं तेऽहं सविज्ञानमिदं वक्ष्याम्यशेषतः'--भगवान् कहते हैं कि भैया अर्जुन! अब मैं विज्ञानसहित ज्ञान कहूँगा (टिप्पणी …
Bhagavad Gita 7.1
Hindi Commentary By Swami Ramsukhdas ।।7.1।। व्याख्या--'मय्यासक्तमनाः'--मेरेमें ही जिसका मन आसक्त हो गया है अर्थात् अधिक स्नेहके कारण जिसका मन स्वाभाविक ही मेरेमें लग गया है, चिपक गया है, उसको …
Bhagavad Gita, Chapter 7
Bhagavad Gita 6.47
Hindi Commentary By Swami Ramsukhdas ।।6.47।। व्याख्या--'योगिनामपि सर्वेषाम्'--जिनमें जडतासे सम्बन्ध-विच्छेद करनेकी मुख्यता है, जो कर्मयोग, सांख्ययोग, हठयोग, मन्त्रयोग, लययोग आदि साधनोंके …