भक्तियोग – स्वामी विवेकानन्द posted on January 15, 2005 भक्ति के लक्षण ईश्वर का स्वरूप भक्तियोग का ध्येय – प्रत्यक्षानुभूति गुरु की आवश्यकता गुरु और शिष्य के लक्षण अवतार मन्त्र प्रतीक तथा प्रतिमा-उपासना इष्टनिष्ठा भक्ति के साधन पराभक्ति (११ – २०) पराभक्ति – त्याग भक्त का वैराग्य – प्रेमजन्य भक्तियोग की स्वाभाविकता और उसका रहस्य भक्ति के अवस्था-भेद सार्वजनीन प्रेम पराविद्या और पराभक्ति दोनों एक हैं प्रेम – त्रिकोणात्मक प्रेममय भगवान स्वयं अपना प्रमाण हैं दैवी प्रेम की मानवी विवेचना उपसंहार