Hindi Commentary By Swami Ramsukhdas
।।10.27।। व्याख्या–‘उच्चैःश्रवसमश्वानां विद्धि माममृतोद्भवम्’–समुद्रमन्थनके समय प्रकट होनेवाले चौदह रत्नोंमें उच्चैःश्रवा घोड़ा भी एक रत्न है। यह इन्द्रका वाहन और सम्पूर्ण घोड़ोंका राजा है। इसलिये भगवान्ने इसको अपनी विभूति बताया है।
‘ऐरावतं गजेन्द्राणाम्’–हाथियोंके समुदायमें जो श्रेष्ठ होता है, उसको गजेन्द्र कहते हैं। ऐसे गजेन्द्रोंमें भी ऐरावत हाथी श्रेष्ठ है। उच्चैःश्रवा घोड़ेकी तरह ऐरावत हाथीकी उत्पत्ति भी समुद्रसे हुई है और यह भी इन्द्रका वाहन है। इसलिये भगवान्ने इसको अपनी विभूति बताया है।
‘नराणां च नराधिपम्’ — सम्पूर्ण प्रजाका पालन, संरक्षण, शासन करनेवाला होनेसे राजा सम्पूर्ण मनुष्योंमें श्रेष्ठ है। साधारण मनुष्योंकी अपेक्षा राजामें भगवान्की ज्यादा शक्ति होती है। इसलिये भगवान्ने राजाको अपनी विभूति बताया है (टिप्पणी प0 559)।इन विभूतियोंमें जो बलवत्ता, सामर्थ्य है, वह भगवान्से ही आयी है, अतः उसको भगवान्की ही मानकर भगवान्का चिन्तन करना चाहिये।