सब कुछ वासुदेव ही है, भगवद्रूप ही है- इसका मनुष्यको अनुभव कर लेना चाहिये।
सूतके मणियोंसे बनी हुई मालामें सूतकी तरह भगवान् ही सब संसारमें ओत-प्रोत हैं। पृथ्वी, जल, तेज आदि तत्त्वोंमें; चन्द्र, सूर्य आदि रूपोंमें; सात्त्विक, राजस और तामस भाव, क्रिया आदिमें भगवान् ही परिपूर्ण हैं। ब्रह्म, जीव, क्रिया, संसार, ब्रह्मा और विष्णुरूपसे भगवान् ही हैं। इस तरह तत्त्वसे सब कुछ भगवान्-ही-भगवान् हैं।