Hindi Commentary By Swami Ramsukhdas
।।13.6।। व्याख्या — अव्यक्तमेव च — अव्यक्त नाम मूल प्रकृतिका है। मूल प्रकृति समष्टि बुद्धिका कारण होनेसे और स्वयं किसीका भी कार्य न होनेसे केवल प्रकृति ही है।बुद्धिः — यह पद समष्टि बुद्धि अर्थात् महत्तत्त्वका वाचक है। इस बुद्धिसे अहंकार पैदा होता है? इसलिये यह प्रकृति है और मूल प्रकृतिका कार्य होनेसे यह विकृति है। तात्पर्य है कि यह बुद्धि प्रकृतिविकृति है।अहंकारः — यह पद समष्टि अहंकारका वाचक है। इसको अहंभाव भी कहते हैं। पञ्चमहाभूतका कारण होनेसे यह अहंकार प्रकृति है और बुद्धिका कार्य होनेसे यह विकृति है। तात्पर्य है कि यह अहंकार प्रकृतिविकृति है।महाभूतानि — पृथ्वी? जल? तेज? वायु और आकाश — ये पाँच महाभूत हैं। महाभूत दो प्रकारके होते हैं — पञ्चीकृत और अपञ्चीकृत। एकएक महाभूतके पाँच विभाग होकर जो मिश्रण होता है? उसको,पञ्चीकृत महाभूत कहते हैं (टिप्पणी प0 673)। इन पाँच महाभूतोंके विभाग न होनेपर इनको,अपञ्चीकृत महाभूत कहते हैं। यहाँ इन्हीं अपञ्चीकृत महाभूतोंका वाचक महाभूतानि पद है। इन महाभूतोंको पञ्चतन्मात्राएँ तथा सूक्ष्ममहाभूत भी कहते हैं।दस इन्द्रियाँ? एक मन और शब्दादि पाँच विषयोंके कारण होनेसे ये महाभूत प्रकृति हैं और अहंकारके कार्य होनेसे ये विकृति हैं। तात्पर्य है कि ये पञ्चमहाभूत प्रकृतिविकृति हैं।इन्द्रियाणि दश — श्रोत्र? त्वचा? नेत्र? रसना और घ्राण — ये पाँच ज्ञानेन्द्रियाँ हैं तथा वाक्? पाणि? पाद? उपस्थ और पायु — ये पाँच कर्मेन्द्रियाँ हैं। ये दसों इन्द्रियाँ अपञ्चीकृत महाभूतोंसे पैदा होनेसे और स्वयं किसीका भी कारण न होनेसे केवल विकृति ही हैं।एकं च — अपञ्चीकृत महाभूतोंसे पैदा होनेसे और स्वयं किसीका भी कारण न होनेसे मन केवल,विकृति ही है।पञ्च चेन्द्रियगोचराः — शब्द? स्पर्श? रूप? रस और गन्ध — ये (पाँच ज्ञानेन्द्रियोंके) पाँच विषय हैं। अपञ्चीकृत महाभूतोंसे पैदा होनेसे और स्वयं किसीके भी कारण न होनेसे ये पाँचों विषय केवल विकृति ही हैं।इन सबका निष्कर्ष यह निकला कि पाँच महाभूत? एक अहंकार और एक बुद्धि — ये सात प्रकृतिविकृति हैं? मूल प्रकृति केवल प्रकृति है और दस इन्द्रियाँ? एक मन और पाँच ज्ञानेन्द्रियोंके विषय — ये सोलह केवल विकृति हैं। इस तरह इन चौबीस तत्त्वोंके समुदायका नाम क्षेत्र है। इसीका एक तुच्छ अंश यह मनुष्यशरीर है? जिसको भगवान्ने पहले श्लोकमें इदं शरीरम् और तीसरे श्लोकमें तत्क्षेत्रम् पदसे कहा है।