Hindi Commentary By Swami Ramsukhdas
।।17.8।। व्याख्या — आयुः — जिन आहारोंके करनेसे मनुष्यकी आयु बढ़ती है सत्त्वम् — सत्त्वगुण बढ़ता है बलम् — शरीर? मन? बुद्धि आदिमें सात्त्विक बल एवं उत्साह पैदा होती है आरोग्यः — शरीरमें नीरोगता बढ़ती है सुखम् — सुखशान्ति प्राप्त होती है और प्रीतिविवर्धनाः — जिनको देखनेसे ही प्रीति पैदा होती है (टिप्पणी प0 841.3)? वे अच्छे लगते हैं।इस प्रकारके स्थिराः — जो गरिष्ठ नहीं? प्रत्युत सुपाच्य हैं और जिनका सार बहुत दिनतक शरीरमें शक्ति देता रहता है और हृद्याः — हृदय? फेफड़े आदिको शक्ति देनेवाले तथा बुद्धि आदिमें सौम्य भाव लानेवाले रस्याः — फल? दूध? खाँड़ आदि रसयुक्त पदार्थ स्निग्धाः — घी? मक्खन? बादाम? काजू? किशमिश? सात्त्विक पदार्थोंसे निकले हुए तेल आदि स्नेहयुक्त भोजनके पदार्थ? जो अच्छे पके हुए तथा ताजे हैं।आहाराः सात्त्विकप्रियाः — ऐसे भोजनके (भोज्य? पेय? लेह्य और चोष्य) पदार्थ सात्त्विक मनुष्यको प्यारे लगते हैं। अतः ऐसे आहारमें रुचि होनेसे उसकी पहचान हो जाती है कि यह मनुष्य सात्त्विक है।